उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। राजधानी लखनऊ में कानून की पढ़ाई करने वाली एक लड़की की क्रूरता के साथ हत्या कर दी गई। दिल दहला देने वाली इस घटना ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं।
लड़की का शव बोरे में एक पुल के नीचे नहर के पास पाया गया। हत्या किसी धारदार हथियार से की गई थी। शरीर के अंगों को बुरी तरह से काट काटकर अलग किया गया था। पुलिस इसे एकतरफा प्रेम का मामला मान रही है।
समाजशास्त्र विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिक ऐसी हत्या को देखकर हैरान हैं। ऐसी घटना को देखकर लग रहा है कि क्या सभी पागल हो गए हैं? क्या कानून का डर अब किसी को नहीं है? आखिर किसे दोष दें?
ऐसे अपराध करने वाले हमारे समाज का ही हिस्सा हैं। कहीं न कहीं महिलाओं के खिलाफ समाज में बना नज़रिया ऐसी घटनाओं का एक बड़ा कारण है। इसका एक कारण सज़ा और न्याय मिलने में देरी का होना भी है। यह घटनाएं न केवल समाज बल्कि कानून के मुंह पर तमाचा हैं। यहां तक कि ऐसी घटनाएं भी सामने आती रहती हैं जबकि हमारे करीबी दोस्त, रिश्तेदार और शिक्षकों द्वारा भी लड़कियां और महिलाएं यौन हिंसा का शिकार होती रहती हैं। क्या समाज में कभी लड़कियों की हां या न को जगह मिलेगी?
चर्चित बदायूं मामले में जिस तरह जांच प्रक्रिया पूरी की गई वह बहुत चिंताजनक है। पहले कहा गया कि बदायूं की दोनों बहनों का बलात्कार करने के बाद हत्या हुई है। बाद में कहा गया कि यह हत्याएं इज़्ज़त की खातिर की गई हैं। इस मामले में कई सवाल अनसुलझे रह गए। लखनऊ के ही मोहनलालगंज में भी एक महिला के साथ बलात्कार कर हत्या कर दी गई थी। लेकिन इस मामले में भी कुछ नहीं हुआ। ऐसी घटनाएं अपराधियों के हौंसले बढ़ाती हैं।
सुमन गुप्ता उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ पत्रकार हैं। वे फैज़ाबाद स्थित जन मोर्चा अखबार में काम करती हैं। इस समय वे यू.पी. स्तर पर पत्रकार हैं।