लखनऊ की वरिष्ठ पत्रकार सारा जमाल कई अखबारों के लिए लिख चुकी हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस तरह से भूकंप से निपटने में सक्रियता दिखाई वैसी तेजी किसानों के मामले में अब तक नहीं दिखी। भूकंप जैसी आपदा से सरकार जिस तरह निपटी उससे साफ हो गया कि अगर राजनीतिक मंशा हो तो आपदा से आसानी से निपटा जा सकता है। मगर अफसोस कि राज्य में किसानों के मामले में सरकार की चाल बहुत सुस्त रही।
उत्तर प्रदेश और नेपाल आठ सौ पैंतालिस किलोमीटर की सीमा को साझा करते हैं। इसलिए नेपाल के भूकंप का असर यहां अच्छा खासा दिखाई दिया। ऐसे में लोगों को मदद की जरूरत भी तुरंत पड़ी। यहां के मुख्यमंत्री ने भी मदद के लिए तुरंत हाथ बढ़ाए। नेपाल में आए भूकंप मे अब तक पांच हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। नौ हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। कुल मिलाकर नेपाल देश में अस्सी लाख लोग इस भूकंप से प्रभावित हुए। इसमें दस लाख बच्चे भी शामिल हैं।
सरकार ने नेपाल से आए लोगों के लिए मुफ्त चिकित्सा सेवा का वादा किया। यहां के मेडिकल कालेज से पच्चीस लाख रुपए की दवाओं के साथ पैंतालिस लोगों की टीम काठमांडू भेजी गई।
हवाई अड्डे में घायलों के लिए दवाओं और डाक्टरों की व्यवस्था भी की गई। उत्तर प्रदेश भवन में भी घायलों के रुकने की व्यवस्था की गई। अभी तक यहां से नेपाल पचास ट्रक भरकर खाने पीने का सामान भेजा जा चुका है। इसमें बिस्कुट, पीने का पानी, नूडल्स और दूध के पैकेट शामिल हैं। नेपाल सरकार की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार ने एक सौ बत्तीस बसें भेजी हैं। इन बसों के जरिए भूकंप से प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालने का काम किया जा रहा है।
गोरखपुर-नेपाल बार्डर पर यहां की सरकार ने भूकंप प्रभावित लोगों के लिए चैबीसों घंटे चलने वाला कैंप भी लगाया है। भूकंप आने के एक घंटे के भीतर मुख्यमंत्री ने बारह भूकंप पीडि़तों के लिए मुआवजे की घोषणा की। घायलों के लिए पच्चीस हजार से पचास हजार तक की मदद की घोषणा की।