प्रांजलि ठाकुर लखनऊ में रहने वाली पत्रकार हैं जो अलग .अलग अखबारों के लिए लिखती हैं। वो उत्तर प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर राज्य के कई बड़े अखबारों में काम कर चुकी हैं।
कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश की ताज नगरी में दो लड़कियों ने समाजवादी पार्टी के नेता की गाड़ी के साथ तोड़फोड़ की। नेता जी ने पहले तो इनसे बदतमीज़ी की लेकिन बाद में हाथ जोड़े नज़र आए।
दरअसल नेता जी अपनी गाड़ी मंे सड़क से गुज़र रहे थे। तभी लाल बत्ती जली और नेता जी की गाड़ी रुक गई। एक स्कूटी गाड़ी के बिल्कुल बगल में रुकी। उनके गार्ड ने इस पर सवार दो लड़कियों से छेड़खानी शुरू कर दी। पहले आंख मारी फिर कुछ और भी अश्लील इशारे किए। इन लड़कियों ने यह सारी हरकतें मोबाईल के वीडियो में रिकार्ड कर लीं और यह रिकार्डिंग नेता जी को दिखाई। यह देखने के बाद अपने गार्ड को डांटने की जगह उन्होंने इन लड़कियों को ही फटकार लगा दी। उनका मोबाईल तोड़ दिया। फिर क्या था इन लड़कियों ने भी स्कूटी एक तरफ खड़ी कर इनकी कार की बैंड बजा दी।
यह सब होते देख भीड़ जमा हो गई। मीडिया भी पहुंच गई। अब नेता जी को गाड़ी से बाहर आकर न केवल इन लड़कियों से माफी मांगनी पड़ी बल्कि टूटे मोबाईल के छह हजार रुपए भी भरने पड़े। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि इन लड़कियों को इतना तमाशा क्यों करना पड़ा? क्या ये पुलिसवालों के पास नहीं जा सकतीं थीं? दरअसल इन नेताओं या फिर बड़े अफसरों के खिलाफ पुलिसवाले शिकायत लिखने से कतराते हैं। उल्टे शिकायतें लेकर जानेवालोें को डांट-डपटकर भगा देते हैं। ऐसे में न्याय पाने का यही तरीका लोगों को दिखाई पड़ता है। हालांकि इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री जी ने अपना बयान दिया और नेताओं को अपनी हदों में रहने की सीख दी। लेकिन उत्तर प्रदेश में जहां औरतों के खिलाफ होने वाली हिंसा का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है, नेताओं का यह रवैया चिंताजनक है। यह चुप रहनेवाली लड़कियों में नहीं थीं। मगर ज़्यादातर लड़कियां ऐसी हरकतों को अनदेखा कर देती हैं। लोगों से पूछो कि वे विरोध क्यों नहीं करते तो ज़्यादातर लोग कहेंगे कि हम आवाज़ उठाकर कर भी क्या लेंगे? ऐसे लोगों के राजनीतिक कनेक्शन तगड़े होते हैं। बाद में हमें ही समझौता करना पड़ेगा तो अच्छा है कि हम इनसे पहले ही बचकर निकल जाएं।