जेबा हसन नवभारतटाइम्स में वरिष्ठ संवाददाता हैं। यह पिछले 11 सालों से पत्रकारिता कर रही हैं।
क्या पटाका माल है। कहां से आ रही हो, वैसे कहां जाना है…जैसी कुछ फब्तियां महिलाओं को अक्सर सार्वजनिक जगहों और वाहनों पर सुननी पड़ती हैं। लेकिन चारबाग बस स्टेशन में अब ऐसे मनचलों की खैर नहीं। अब वहां महिला चैकी बन चुकी है। यहां हमेशा महिला सिपाही तैनात रहती हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस महिला सम्मान प्रकोष्ठ और ब्रेकथ्रू नाम की संस्था के प्रयास से यह संभव हुआ। इसके लिए महिलाओं के साथ होने वाली इस तरह की घटनाओं के खिलाफ आस्किंग फार इट नाम का (महिलाएं खुद इसकी जिम्मेदार हैं – इसे चुनौती देते हुए) अभियान एक हफ्ते चलाया था। 18 अगस्त को चारबाग बस अड्डे में इस मुहिम की शुरुआत हुई थी। महिला प्रकोष्ठ की डी.जी. सुतापा सान्याल ने लड़कियों को ऐसी घटनाओं के खिलाफ चुप्पी तोड़ने का हौसला देते हुए कहा था कि अगर हम चुप रहते हैं तो मनचलों की हिम्मत बढ़ती है। उन्होंने हाल ही में हुए एक सर्वे का जिक्र करते हुए कहा था कि छह राज्यों के आंकड़ों को लेकर जारी हुई इस रिपोर्ट में दर्ज है कि सार्वजनिक वाहनों या फिर इनके अड्डों पर नब्बे प्रतिशत महिलाओं को छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है। इस अभियान के दौरान मौजूद रहे टी.वी. के सबसे चर्चित क्राइम शो सावधान के एंकर सुशांत सिंह ने कहा कि मैं भी यू पी का हूं। मुझे मालूम है कि हमारे यहां लड़कियों की परवरिश कैसे होती है? उन्हें चुप रहना सिखाया जाता है। लेकिन पुरुष प्रधान इस समाज में अगर सम्मान के साथ जीना है तो आवाज उठानी होगी। मां बाप को चाहिए कि लड़के और लड़की की परवरिश में भेदभाव न करें। तभी समाज में महिलाओं के खिलाफ मानसिकता बदलेगी।
अभियान की शुरुआत के समय महिलाओं को हौसला देने वाले कई गीत गाए। इनमें सबसे ज्यादा जिस गीत ने तालियां बटोरीं वह था चुप्पी तोड़ो, शरम को छोड़ो..वाकई हमारी चुप्पी अपराधियों के हौसले बुलंद करती है।