स्वाति माथुर लखनऊ के जाने-माने अंग्रेज़्ाी अखबार में राजनीति, सरकारी मुद्दे और नीति निर्माण से जुड़े मुद्दों पर लिखती हैं। उन्हें खेती, ग्रामीण जीवन और औरतों के बारे में भी लिखना पसंद है।
बेमौसम बरसात और उसमें बर्बाद हुई फसलों ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश में किसानों की आत्महत्या के सिलसिले को तेज़ कर दिया है। अब बर्बाद फसलों के मुआवज़े का इंतज़ार करने के साथ यह भी सोचना है कि किसानों की समस्या का स्थाई समाधान क्या हो सकता है? हमें सोचना चाहिए कि संगठित होकर किसान इस तरह की आपदाओं से कैसे लड़ सकते हैं? संगठन की ताकत के ज़रिए इन आत्महत्याओं को रोका जा सकता है। किसानों के संगठन की ताकत का असरदार माॅडल देखना है तो केरल राज्य में इकतालिस लाख से ज़्यादा महिला किसानों के समूह के बारे में जानना चाहिए। यह सारी औरतें स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं। एकजुट होकर यह औरतें ारेलू खपत के लिए कृषि उत्पाद तो पैदा करती ही हैं साथ ही खुले बाज़ार में इन्हें उचित दामों में बेचती भी हैं। हर महीने अच्छा खासा मुनाफा भी कमाती हैं। उत्तर प्रदेश में भी कई जिलों में स्वयं सहायता समूह सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। लेकिन प्रदेश में संसाधनों को साझा करने, खास तौर पर धन को साझा करने में लोगों में हिचकिचाहट रहती है। यहां जेंडर, जाति और वर्ग आधारित भेदभाव की जड़ें गहरी हैं। ऐसे में स्वयं सहायता समूह औरतों की स्थिति मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। केरल में लाखों औरतों का संगठन इन समूहों की शक्ति का एक बेजोड़ नमूना है। यह माॅडल एक और एक ग्यारहा के सिद्धांत पर भरोसा करता है। यानी समूह हमेशा एक अकेले व्यक्ति से ज़्यादा ताकतवर होता है। कल्पना कीजिए एक तरफ पंद्रह महिला किसानों का समूह हो और एक तरफ बस एक किसान। अगर यह पंद्रह औरतें एक हेक्टेयर ज़मीन लेना चाहेंगी तो खुद ब खुद इस ज़मीन की कीमत पंद्रह लोगों में बंट जाएगी। खेतों में काम आने वाली मेहनत बंट जाएगी। खेती में लगने वाली लागत जैसे बीज, उर्वरक, कृषि उपकरण में लगने वाली लागत पंद्रह लोगों में बंट जाएगी। यानी संगठित होकर हम वह काम कर सकते हैं जिसे अकेले करना मुमकिन नहीं है। स्वंय सहायता समूह का दूसरा नाम है संगठित ज्ञान, साझा जानकारी और सर्वोत्तम तरीके। समहू के तौर पर यह हर समस्या से सफलतापूर्वक लड़ सकते हैं। इन समूहों ने यह साबित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है कि औरतें पुरुषो से कम क्षमतावान नहीं हैं।