प्रांजलि ठाकुर लखनऊ में रहने वाली पत्रकार हैं जो अलग -अलग अखबारों के लिए लिखती हैं। वो उत्तर प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर राज्य के कई बड़े अखबारों में काम कर चुकी हैं।
राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी - दोनों मौके को देखकर की जाती है। उत्तर प्रदेश की सरकार समाजवादी पार्टी के अंदर कुछ ऐसा ही चल रहा है। फरवरी 2010 में अमर सिंह और जया प्रदा को पार्टी से निकाल दिया गया था। अमर सिंह पर आरोप था कि वह पार्टी विरोधी प्रचार करने में लगे हैं। जया प्रदा को अमर सिंह से करीबी होने की वजह से बाहर का रास्ता देखना पड़ा था। समाजवादी पार्टी में अमर सिंह एक ऐसा नाम था जिससे पूछे बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था। उत्तर प्रदेश में तो समाजवादी पार्टी के राज को लोग दबे मुंह ‘अमर राज’ भी कहते थे। मगर उन्हें बेइज़्ज़त करके निकाला गया था।
19 मई को अमर सिंह और अखिलेश यादव समेत मुलायम सिंह ने एक बार फिर दो घंटे तक खास मुलाकात की। 29 मई को जया प्रदा का लखनऊ के आर.टी.ओ. दफ्तर से रात नौ बजे के बाद ड्राईविंग लाइसेंस भी बना। अब रात नौ बजे के बाद कौन सा सरकारी दफ्तर खुला रहता है, यह तो राम ही जाने। समाजवादी पार्टी से निकाले जाने से पहले रामपुर सीट से सांसद जया प्रदा को आखिर ड्राईविंग लाइसेंस की इतनी जल्दबादी क्यों पड़ी? इस लाइसेंस में गोमती नगर स्थित एक आवास का पता दिया गया था। यह आवास अमर सिंह के नाम पर है। लखनऊ में जया का साढ़े नौ बजे के बाद ड्राईविंग लाइसेंस बनना भी समाजवादी पार्टी के राजनीतिक दबाव का नतीजा है। तो क्या जया की पार्टी में फिर वापसी हो रही है? समाजवादी पार्टी राज्यसभा सांसदों के लिए कुछ चेहरे तलाश कर रही है। तो कहीं इनमें से एक चेहरा जया प्रदा का तो नहीं? और अगर जया को राज्यसभा में सीट दिलानी है तो प्रदेश का पहचान पत्र भी तो चाहिए। यही कारण है कि जल्दबाजी में यह पहचान पत्र बनाया गया। यानी पहले जया समाजवादी पार्टी में शमिल होंगी फिर अमर के लिए वहां मंत्री पद की मांग करेंगी। और ऐसे जया और अमर फिर पार्टी के महत्वपूर्ण चेहरे बन जाएंगे।
ऐसे में एक बात तो साफ है – समाजवादी पार्टी में ‘अमर राज’ लाने की तैयारी जरूर चल रही है।