उत्तर प्रदेश सरकार के छोटी-बिजली ग्रिड को विशेष दर्जा देने के बाद अब सरकार ने इस नीति का विवरण जारी किया। इस नीति से अब प्राइवेट बिज़नेस सौर प्लांट बना कर उसके द्वारा ग्रामीण घरों में बिजली दिला सकते है और पैसे उनसे ले सकते है ।
उत्तर प्रदेश बिजली नियामिक कमीशन के अध्यक्ष देश दीपक वर्मा ने पहले कहा था की, “इनको विशेष दर्ज दिया जाएगा क्यूंकि ये ग्रामीण उपभोगताओं की मदद करेगा जिनके पास बिजली बिलकुल नहीं है या बिजली की अधिकतम कमी हो। यह सौर ग्रिड यूपी को पर्यावरण के अनुकूल की तरफ भी ले जाएगा।
इस नीति को 12 सदस्यों की कमिटी ने बनाया है जिसमें उत्तर प्रदेश के बिजी वितरण के अध्यक्ष भी मौजूद थे।
यह नीति ने छोटे ग्रिड के आकार को 500 kw तक का सीमा दिया है। और ये नीति कुछ शर्त भी सामने रख रहा है जो राज्य सरकार के अनुवृत्ति से मिलता हो।
– जो बिजली दिला रहे है वो इन प्रोजेक्ट के लिए खुद की ज़मीन इस्तेमाल करेंगे
-कम से कम 8 घंटे की बिजली की आपूर्ति हर घर में दी जाएगी: 3 घंटे सुबह और 5 घंटे सुबह
-व्यवसाइक और उत्पादन के लिए कम से कम ६ घंटे की बिजली दी जाएगी
अगर उपभोगता सरकार की अनुवृत्ति लेता है तो जो बिजली दिला रहे है उनसे महीने के 50 रूपये 30W का लेंगे और 150 रूपये 100W के लिए दिन के 8 घंटे की बिजली के लिए
अगर उपभोगता सरकार की अनुवृत्ति नहीं लेता है तो परस्पर सहमत से पैसे लिया जा सकता है। और हमने उत्तर प्रदेश में देखा है की ये 20-120 रूपये हर यूनिट का लागत लिया जाता है। और ये ग्रामीण ग्राहकों के लिए अनुसूचित है क्यूंकि शहरों में 3-8 रूपये जितना काम दाम लिया जाता है।
पूरे देश में सबसे कम बिजली की उप्लब्दी वाले प्रदेशों में उत्तर प्रदेश एक है: 36.8% की। ये छोटी ग्रिड अगर चल जाये तो बिजली की सेक्टर में बदलाव आ सकता है।
लेख साभार: अरुणा कुमरनकनदथ/डाउन टू एअर्थ