बनारस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली बनारस यात्रा में ही बुनकरों के लिए बड़ा लालपुर में एक केंद्र की आधारशिला रखी थी। मगर सरकार बनने के सत्रह महीने बाद भी इस केंद्र का निर्माण कार्य शुरु नहीं हो सका है। बुनकरों की माने तो मदद मिलने की जगह उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। चैकाघाट के बुनकर केंद्र से बुनकरों को पहले कम दाम में बुनाई का सामान मिलता था मगर नई सरकार आने के बाद से अब वह भी मिलना बंद हो गया है।
बनारस के लल्लापुर, अलइपुर, बजरडीहा, लोहता और कई जगह से करीब चैतीस हज़ार बुनकरों को चैकाघाट के बुनकर केन्द्र से कम मूल्य पर सामान मिलता था। लेकिन पिछले अगस्त से इस केन्द्र से अब सामान नहीं मिल रहा है।
लोहता के साबिर बताते हैं कि पहले हम लोग अपने बुनकर कार्ड से चैकाघाट स्थित केंद्र से कम दाम में सामान ले आते थे लेकिन अब करीब एक साल से हमें सामान मिलना बंद हो गया है। बाज़ार से यह सामान महंगा पड़ता है।
बजरडीहा के हुसैन, मोबिन, पप्पू बताते हैं कि एक तो इतनी मंहगाई, दाल तक खाने के लिए हम तरसे जा रहे हैं उपर से बुनकर केन्द्र से सामान नहीं मिल रहा है। हम लोगों को तो समझ नहीं आ रहा कि हम क्या करें। मोदी जब हमारे यहां आए थे तो वे बोले थे कि बनारस के बुनकरों को मैं वो पहचान दिलाउंगा कि वे लोग चीन से मुकाबला करेगें, और वे वल्र्ड लेवल पर अपना मुकाम बनाएंगे। लेकिन चीन से क्या हम तो अपने पेट के लिए लड़ने लगे हैं । पेट भी नहीं भर पा रहे हैं ।
सहायक आयुक्त हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग वाराणसी के नितेश धवन ने इन सबके बारे में बताया कि बड़ा लालपुर में कंस्ट्रक्शन का काम एच.एच.सी.एल. नाम की कम्पनी कर रही थी लेकिन उनका काम ठीक न होने की वजह से सरकार ने वो काम अब बी.सी.सी. नाम की कम्पनी को दे दिया है। अभी सारी प्रक्रिया चल रही है। 5 नवम्बर तक सारा कागज़ी काम हो जाएगा। 25 नवम्बर से काम शुरू हो जाएगा। और जहां तक सामान न मिलने की बात है तो उसका तरीका अब थोड़ा बदल गया हैै। अब हमारे अधिकारी गावं जाकर देखते हैं कि सामान लेने वाला वाकई में हथकरघा बुनकर है उसके बाद लिस्ट तैयार करके भारत सरकार को भेजी जाती है। उसके बाद ही छूट मिलती है।
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