जिला वाराणसी। जब चुनाव के मौसम आवला आउर महिला सीट रही त लो अपने अपने मेहरारू के खड़ा करावलन। लेकिन जब चुनाव बीत जाई त मेहरारून के घर से बहरे भी नाहीं जाए देतन। मेहरारून के जगह पर अपने काम करे लगलन। जेकरे वजह से मेहरारून अपने पद पर काम नाहीं कर पावलीन।
मेहरारून लोगन के कुछ गावं के विकास के बारे में भी जानकारी नाहीं रहत। जब ओनके बहरे ना जाए के मिली त ओनके कउनों भी जानकारी कइसे आई। अगर लोग अपने मेहरारू के प्रधान बनावत हयन त मेहरारून के पूरा पद के निभावे देवे के जरूरत हव। ओनके बहरे निकलक देवे के चाही। अइसे मेहरारू लोग आगे निकल पहियन। आदमी लोग मेहरारून के आगे आवे नाहीं देतन। उनकरे उपर इबाव बनावे लगलन। खाली नाम हव कि मेहरारू आउर आदमी लोग कन्धा से कन्धा मिला के चलियन। आदमी लोग अपने आप के हमेशा ताकतवर समझलन। मेहरारून के आगे आवे देबे नाहीं करलन। जबकि देखल जाए त ए समय मेहरारून हर काम में आगे हईन। लेकिन मेहरारून के परिवार वालन आउर समाज वालन सब ओनकरे उपर दबाव बनावलन। मेहरारू चाह के भी आगे नाहीं निकल पावलीन। एकरे खातिर परिवार आउर समाज के आपन सोच बदले के चाही
मेहरारून के नाहीं मिलत हव आपन हक
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