मेरा नाम रोहित है। जब मैं 18 साल का था तब मैं पढ़ाई के साथ-साथ एक कंप्यूटर डिप्लोमा भी कर रहा था। उसी दौरान मेरी मुलाकात एक लड़की से हुई जिसे मैं बहुत पसंद करने लगा था। मेरे घर में पहले से ही कंप्यूटर था इसलिए वहां के टीचर मुझे भी सिखाने को बोल दिया करते थे।
ऐसे ही एक दिन मुझे उस लड़की ने फ़ोन करके कहा कि मेरी हेल्प कर दो, मुझे समझने में दिक्कत हो रही है। मैंने तुरंत उसका नंबर याद कर लिया और फिर एक दिन बहुत डरते हुए उसको कॉल कर, हेल्लो किया। जैसे ही मैंने उसकी आवाज़ सुनी मैं कांप गया। तभी वो बोली, कौन? रोहित… मैंने डर की वजह से कहा, नहीं, मैं रोहित नहीं! लेकिन वो मेरी आवाज़ पहचान गयी थी। मैंने तब भी नहीं बताया और बोला, मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ और शायद प्यार भी करने लगा हूँ। मुझे रोकते हुए वो बोली कि, मैं जानती हूँ तुम रोहित हो, अगर तुम सच बोलोगे तो ही मैं तुमसे बात करूंगी। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया और बोला, नहीं मैं रोहित नहीं हूँ। तब वो बोली ठीक है बाद में बात करूंगी अभी मुझे जाना है।
इसके बाद हमारे बीच घंटों बातें होने लगी, हम बहुत कुछ शेयर करने लगे। कुछ दिनों तक यह चला फिर मैंने उसे बता दिया कि मैं ही रोहित हूँ और तुमसे प्यार करता हूँ। तब उसने भी मुझे लव यू टू कहा।
फिर कुछ दिनों बाद मैंने उसे एक लड़के के साथ बाइक पर देखा। मैंने उसको पूछा तो उसने बोला वो उसका चचेरा भाई है। लेकिन एक दिन जब वही लड़का मेरे पास आ कर मुझसे उसके बारे में पूछने लगा तो मुझे असलियत का पता लगा कि वो लड़का इस लड़की का पुराना प्रेमी है और यह मुझे धोखा दे रही थी। इसके बाद मैंने यह बात उस लड़की से पूछी, लेकिन वो सॉरी के सिवा और कुछ नही बोली। इस तरह मेरी प्रेम कहानी का अंत हुआ। मेरी ज़िन्दगी में अभी भी लड़कियाँ हैं पर वो पहला प्यार भुलाए नहीं भूलता।
साभार: एजेंट आंफ इश्क
मेरा टेलीफोन वाला प्यार…
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