जिला लखीमपुर खीरी। भारत में पशु पक्षियों की खास जगह है। कई त्यौहारों के मौकों पर इन्हें पूजा भी जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक सौ चालीस किलोमीटर दूर लखीमपुर खीरी के ओल धाकवा नगर पंचायत में बने एक मात्र मेंढक के मंदिर में दिवाली में भीड़ जमा होती है। मान्यता है कि यहां के राजा बख्त सिंह के कोई औलाद नहीं थी। उन पर दूसरे राजाओं ने आक्रमण करके उनकी सारी दौलत हड़प ली थी। तब एक मेंढ़क ने उन्हें आर्शीवाद दिया था जिससे उन्हें औलाद और धन दोनों मिले।
गांव के लोगों के अनुसार यह मंदिर दो सौ साल पुराना है। गांव में मेंढक को उपजाऊपन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मान्यता यह भी है कि जो लोग यहां पूजा करते हैं उन्हें गरीबी कभी नहीं घेरती। राजा बख्त सिंह के परिवार के लोग अभी भी इस मंदिर में हर दिवाली परंपरागत ढंग से पूजा पाठ करते हैं। दिवाली की रात को गांव वाले इस मंदिर में इकट्ठा होकर उत्सव मनाते हैं।
मेंढक के मंदिर की दिवाली
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