जिला मुज़फ्फरनगर और शामली, उत्तर प्रदेश। 8 सितंबर को शुरू हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद कुछ नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया। 20 सितंबर को भाजपा के सुरेश राना को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 21 सितंबर को भाजपा विधायक संगीत सोम और बसपा विधायक नूर सलीम राना गिरफ्तार हुए। उधर मुज़फ्फरनगर और शामली के राहत कैंपों की स्थिति अब भी गंभीर है और हज़ारों लोग बेघर हाल में अब दो हफ्तों से ज़्यादा समय से कैंपों में ही हैं।
शामली जिले के कांधला कैंप में कुछ संगठनों और प्रभावित नागरिकों ने 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार, डी.आई.जी. और चार जिलों (मेरठ, मुज़फ्फरनगर, शामली और बागपत) के एस.पी. और डी.एम. के खिलाफ याचिका दर्ज ही है। आवामी काउंसिल के वकील और कार्यकर्ता असद हयात ने बताया कि इस याचिका में मुख्य मांग मुआवज़े और सी.बी.आई. द्वारा निश्पक्ष जांच की है। मुज़फ्फरनगर और पास के शामली जिलों के राहत कैंपों में डाक्टरों की कमी देखी गई। लोग अब भी अपने गांव लौटने को तैयार नहीं हैं और कुछ लोग अब भी अपने परिवार वालों को खोज रहे हैं। अब तक मामले में कुल बांसठ एफ.आई.आर. ही दर्ज हो पाईं हैं।
मुज़फ्फरनगर दंगों में नेता गिरफ़्तारए कोर्ट में दर्ज हुई याचिका
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