पुणे जिले में भीमा–कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में हुई एक व्यक्ति की मौत के बाद मराठा और दलितों के बीच हुई झड़प ने हिंसक रूप ले लिया है।
इसके चलते मुंबई में सुरक्षा के तहत स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। हिंसक घटनाओं के बाद दलितों ने 2 जनवरी की सुबह मुंबई में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे को रोककर ट्रैफिक को ठप कर दिया।
वहीं आंदोलनकारियों ने मुंबई की हार्बर लाइन को भी बंद कर दिया है। राज्य के 8 जिलों में धारा 144 लगा दी गई है। दलित समूह ने आज को महाराष्ट्र बंद का ऐलान भी किया है।
शरद पवार ने निंदा करते हुए कहा है कि लोग वहां पिछले 200 सालों से जा रहे हैं। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। यह उम्मीद थी कि 200वें वर्षगाठ के कार्यक्रम में ज्यादा लोग आएंगे। इस मामले में ज्यादा ध्यान देने की जरुरत थी।
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने घटना का जायजा लेते हुए भीमा कोरेगांव मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट के जज इस जांच की अगुवाई करेंगे। साथ ही उन्होंने इस मामले में हुई एक युवक की हत्या के मामले की सीआईडी जांच के भी आदेश दिए हैं और मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपए मुआवजा देने का भी ऐलान किया है।
बता दें कि 200 साल पहले हुई एक लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था। दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं। ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे। हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था।