सुप्रीम कोर्ट से झाड़ खाने के बाद आखिरकार मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने लोई गांव में अस्थायी अस्पताल खोल दिया। सरकार को ये झाड़ तब पडी जब उसने माना कि लोई राहत शिविर में इलाज के अभाव में ग्यारह बच्चों की मौत हो चुकी है। और 6 की मौत की जांच चल रही है। इससे पहले सरकार कोई मौत हुई है ये मानने को राज़ी नहीं थी। इस अस्थायी अस्पताल में दो डॉक्टर, दो चिकित्सा सहायक, नर्सें और अन्य कर्मचारी हैं। राहत शिविर में एक एम्बुलेन्स खड़ी है जो बीमारों का लाना ले जाना कर सके।
16 दिसंबर को हुई मंत्रिमंडल की मीटिंग में ‘सांप्रदायिक हिंसा कानून बिल विधेयक’ को मंज़री दी गई। इसे संसद में पेश किया जाएगा। इस बिल पर शुरू से ही बहस चलती आ रही है जहां कांग्रेस इसे लाना चाहती है। वहीं बी जे पी इसे बहुसंख्यकों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध करती है। कुछ दूसरी पार्टियां जैसे एस पी, बी एस पी, तृणमूल कोंग्रेस इसे शक की निगाह से देखती है क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे राज्यों के अधिकार में दखल दिया जाएगा। सभी पार्टियों के द्वारा उठाए मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसमें कुछ फेरबदल किए हैं और इसे संसद में पेश करने का फैसला किया है।
मुज़फ्फरनगर पर नज़र – कोर्ट के दखल के बाद भी स्थिति गंभीर
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