काइरो, मिस्र। अफ्रीका के मिस्र देश में 3 जुलाई 2013 को देष के राष्ट्रपति मोहम्मद मोरसी को सेना ने उनके पद से बेदखल कर उन्हीं के घर में बंद कर दिया है। मोरसी मिस्र के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने नेता थे।
2012 में चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने मोरसी के खिलाफ धरने नवंबर 2012 में षुरू हुए। मोरसी ने खुद को देष का रक्षक घोषित किया था। उन्होंने इस्लामवादी संविधान लागू किया जिसके तहत उनके फैसले को कोई पलट नहीं सकता था।
मोरसी के इस कट्टरवादी रवैये का विरोध का समर्थन मिस्र की सेना ने किया। धरनों में पिछले सात महीनों में दोनों पक्षों से लगभग साठ लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों घायल हुए हैं।
मिस्र में 2011 में राजनीतिक क्रांति की लहर दौड़ी और लोग सालों बाद सड़कों पर उतर आए। बीस सालों से रहे राष्ट्रपति होसनी मुबारक के खिलाफ लोगों ने महीने भर तक धरना प्रदर्षन किया। मुबारक को फरवरी 2011 में अपना पद त्यागना पड़ा। इस ही के बाद लोकतांत्रिक चुनाव हुए हैं और मोरसी की सरकार बनी थी। मिस्र के लोगों में राजनीति को लेकर ये एक नई जागृति है।
मिस्र में राष्ट्रपति को पद से हटाया
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