जीरो से दो साल तक के बच्चों के लिए पूरे देश के कई जिलों में इंद्रधनुष योजना शुरू हुई है। इस योजना में ऐसे बच्चों को शामिल किया जाएगा जो टीकाकरण अभियान में छूट गए हैं। सात बीमारियों डिप्थीरिया, खांसी, पोलियो, टिटेनस, खसरा, टीबी और हिपेटाइटिस से बचाव करने वाले यह टीके लगने का पहला चरण जिला बांदा में 7 अप्रैल से शुरू हो गया। लेकिन इस मिशन की शुरुआत वाले दिन और एक दिन पहले जब आशा और ए.एन.एम. से बातचीत हुई तो पता चला कि इनमें से कई लोगों को योजना का पता ही नहीं है।
ब्लाक बड़ोखर खुर्द, गांव जारी। गांव की आशा से जब पूछा गया कि मिशन इंद्रधनुष क्या है? तो उनका जवाब था कि हमें नहीं पता। जब पूछा गया कि इस योजना में तो सारी आशा और ए.एन.एम. को जोड़ा गया है तो उसने कहा अभी तक उसे कोई सूचना नहीं मिली है।
तिंदवारी ब्लाक। क्षेत्र की ए.एन.एम. ने बताया कि सरकार अलग अलग तरह के मिशन चलाकर हमारा काम बढ़ाती जा रही है। एक काम खत्म नहीं होता दूसरा शुरू हो जाता है। सर्वे करो, टीकाकरण करो, लोगों को जागरुक करो। इस चक्कर में हम पूरी तरह से कुछ भी नहीं कर पाते हैं। अगर एक ही योजना को ढंग से चलाया जाए तो ढेरों मिशन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। लेकिन नौकरी है सो जो आधा अधूरा जैसा कर पाते हैं पूरा करते हैं।
खप्टिहा कला गांव की आशा लक्ष्मी और आंगनबाड़ी ने बताया कि उनको भी नहीं पता था कि यह मिशन चालू हो गया है। 7 अप्रैल के दिन ही पता चला कि यह मिशन के तहत टीकाकरण का काम करना है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. ओ.पी. माहौर, अपर सी.एम.ओ. का कहना है कि कुपोषण मिशन के तहत सर्वे किया गया। जहां टीकाकरण कमजोर पाया गया है वहां मिशन के तहत टीकारण होगा। इसका पहले चरण अप्रैल से जुलाई तक है। इसमें आशा, आंगनबाडी और ए.एन.एम. को जोड़ा गया। 7 से 14 तारीख तक कैम्प लगा के टीकाकरण होगा जिसमें खासकर जीरो से दो साल के बच्चे और गर्भवती महिलाओं को टीका लगना है।
कहां कहां चलेगा अभियान
देश के दो सौै एक जिलों में यह मिशन चलेगा। पूरे देश में दो करोड़ सत्तर लाख बच्चे हैं जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है। इनमें से बयासी जिले तो उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश से हैं।