जलंदर, पंजाब की गुरकंवल भारती ने केवल 18 साल की उमर में यूट्यूब और फेसबुक पर हलचल मचा दी है. बी.आर. अम्बेडकर और संत रविदास की प्रशंसा करते हुए, गुरकंवल, जिनको प्यार से ‘गिन्नी माही’ बुलाया जाता है, बेहतरीन गाने गाती हैं.
गिन्नी माही का परिवार ‘रविदस्सिया’ धर्म को मानता है जिनके प्रवचनों पर माही गाने गातीं हैं. रविदास और अम्बेडकर, दोनों, दलित समुदाय के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. बचपन से गाने की शौक़ीन गिन्नी, पंजाब के दलित समुदाय में अपने गानों के माध्यम से, आत्मविश्वास और गौरव पैदा करना चाहती हैं.
दलित उत्पीरण और संघर्ष पर गानों की परंपरा महाराष्ट्र में बहुत सालों से प्रचलित है. ‘लाल बावटा कलापाठक’, संभाजी भगत, कबीर कला मंच इत्यादि इस परंपरा के कुछ उत्कृष्ट नाम हैं. गिन्नी माही की कला से अब ये परंपरा पंजाब में भी फ़ैल रही है. गिन्नी माही की तरह दलित समुदाय पर गाने गाने का प्रचलन अमृत्सर की वाल्मीकि कॉलोनी में भी है.
गिन्नी माही को उनकी आवाज़ और सोच के लिये बहुत प्रशंसा मिली है.
आजकल कॉलेज में पढ़ती माही बॉलीवुड के लिये गाना चाहती हैं.