ज़िला महोबा। यहां 2010 में अर्जुन बांध सहायक परियोजना शुरू की हुई है। जिसमें कई गांव के किसानों की ज़मीन डूब क्षेत्र में चली गई है। बांध बनाने के लिए ज़मीन लेते वक्त सिंचाई विभाग ने चार गुना पैसा देने का लालच दिया था। इसलिए किसान चार गुना पैसे की ही मांग कर रहे थे। लेकिन अब जब किसानों को लगा कि उनकी मांग पूरी नहीं होगी। वह लोगा पहले तय हुए ज़मीन के भाव पर ही राज़ी हो गए हैं। लेकिन अब सिंचाई विभाग का कहना है कि पहले जो बजट आया था मुआवज़े के लिए वह दूसरे कामों में खर्च हो गया है। अब जब दोबारा बजट आएगा तब हम सभी किसानों को देंगे।
ब्लाक जैतपुर, गांव बागौल के हरीसिंह और जानकी सिंह ने बताया कि हमारी 4-5 एकड़ ज़मीन अर्जुन बांध के डूब क्षेत्र में जा रही है। लेकिन हमें मुआवज़ा नहीं मिला है। ब्लाक कबरई, गांव झिर सहेवा के विश्वनाथ, करन सिंह और मुलायम बताते हैं कि 2010 में सिंचाई विभाग ने हमारी ज़मीन के भाव से चार गुना ज़्यादा मुआवज़ा देने की बात कहकर हमसे ज़मीन हड़प ली। हमारी ज़मीन सिंचित और उपजाऊ थी।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियन्ता हरिश्चन्द्र यादव ने बताया कि इस बांध को बनवाने के लिए हमें 3 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन चाहिए। जिसमें चैदह सौ पचास हेक्टेयर जमीन मिल चुकी है। बाकी अभी रह गई है, जो धीरे-धीरे बजट के हिसाब से ली जाएगी। जिन किसानों की ज़मीन डूब क्षेत्र में जा रही है। उन लोगो को हम मार्च 2014 तक 14-15 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा दे रहे थे। पर किसान उससे चार गुना ज्यादा मांग रहे हैं।
मिला नहीं मुआवज़ा बनने लगा बांध
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