1995 में मिड डे मील योजना की शुरुआत हुई थी, जिसके अंतर्गत कक्षा एक से पांच तक प्रदेश के राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को चावल, सब्जी, दाल, दूध, फल दिया जाता है, लेकिन जिला वाराणसी के गांव जालुहुपुर में स्थिति कुछ और ही है।
रविन्दर और ज्योति ने बताया कि सब्जी भात, खिचड़ी और दाल भात मिलता है। फल और दूध नहीं मिलता है। उजाला ने बताया कि चावल बिना बिने ही धोकर बनाते हैं तो खानें में कंकड़ मिलते है, शिकायत करने पर मास्टर डांटते हैं।
सरिता का कहना है कि स्कूल में अच्छा खाना नहीं मिलता है इसलिए बच्चें नहीं खातें हैं। घर में खाना खाने आते हैं।
प्रधान गुड्डू सिंह ने बजट न होने की बात बताई। खण्ड शिक्षा अधिकारी रविशंकर यादव ने बताया कि बजट प्रधान के पास जाता है।
रिपोर्टर- सुशीला
Published on Mar 14, 2018