जिला लखनऊ, ब्लाक चिनहट। लखनऊ शहर से कुछ दूर चिन्हट ब्लाक के बाज़ार की शान है टैराकोटा नाम की मिट्टी से बनने वाले बर्तन और सजावट की चीज़ें। लखनऊ शहर ही नहीं बल्कि बाहरी शहरों से भी लोग इन दुकानों से खरीदारी करने आते हैं।
कारीगर रेहमत अली का कहना है कि दो साल पहले तक यहां दुकानों में चीनी मिट्टी का सामान बनता था। पर इस काम में बाहर से मिट्टी लाने में बहुत खर्चा होता था। धीरे-धीरे जब कारोबार में घाटा होने लगा तो कारीगरों ने टैराकोटा मिट्टी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
आजकल इस काम की सराहना करने वाले बहुत हैं पर बिक्री मुश्किल से छह से सात महीने ही होती है। बाकि महीनों में कारीगार नई-नई सजावटी की चीज़ें बनाने में जुटे रहते हैं। कारीगर अमिताभ ने कहा कि धीरे-धीरे लोग हाथ की इस कला को छोड़ रहे हैं क्योंकि न तो कमाई बढ़ी है और ना ही सरकार की ओर से कोई मदद और प्रोत्साहन मिला है।
राज्य में इस कला से जुड़े बांसठ वर्षीय कमलकांत प्रजापति राज्य में इस कला के प्रशिक्षक बन गए हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने उनके काम के लिए पुरस्कृत भी किया था पर उनका कहना है कि सरकार इस कला को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रयास नहीं कर रही है।