देश में मासिक धर्म के दौरान प्रयोग होने वाले सेनेटरी पैड का इस्तेमाल 2014 में 50.7 प्रतिशत और 2015 के दौरान 54 प्रतिशत बढ़ा है। मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई को बढ़ाने के सरकार की तरह से कई योजनाएं चलाई गई, परन्तु इसके साथ ही सेनेटरी पैड की क्वालिटी, उपलब्धता और जागरुकता की कमी जैसी समस्याएं भी आ रही है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2011 में 10 साल से 19 साल की लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के मकसद से योजन तैयार की। 2014 तक 17 राज्यों के 107 ग्रामीण जिलों को इस योजना के अन्दर लिया गया और योजना को राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत रख दी गई।
सेनेटरी पैड के वितरण के लिए बनने वाले सेनेटरी पैड का काम स्वयं सहायता समूहों को दे दिया गया। साथ ही सेनेटरी पैड की गुणवता की जांच का काम राज्य सरकार को दे दिया गया। देश में आज भी 89 प्रतिशत महिलाएं कपड़े का प्रयोग आज भी करती हैं। जबकि 2 प्रतिशत रूई का प्रयोग करते हैं, वहीं 7 प्रतिशत सेनेटरी पैड और 2 प्रतिशत राख का प्रयोग करती हैं। वहीं देष में आज भी माताएं अपनी बेटियों को मासिक धर्म की जानकारी नहीं देती हैं। 70 प्रतिषत इस विषय को षर्म का विषय मानती हैं।
वहीं उड़ीसा, राजस्थान और केरल जैसे राज्यों में सेनेटरी पैड की गुणवत्ता खराब थी, क्योंकि उनमें कम अवशोषण दर थी, जिसके कारण रिसाव की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं। अरुणाचल प्रदेश, बिहार, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र में सेनेटरी पैड स्टॉक से बाहर हो गए।
लेख साभार: इंडियास्पेंड