जिला बांदा, तिन्दवारी कस्बा। हेंया के रहैं वाली माधुरी 22 नवम्बर से वनांगना मा रहिके आपन इलाज करावत है। वा कहत है कि वहिका दूसर जिन्दगी मिली है।
माधुरी बताइस-“मैं ब्राहम्ण जाति के आहूं। खप्टिहा कलां मा पली बढ़ी। बड़ोखर ब्लाक के लुकतरा गांव मा 2003 मा शादी भे। मोर पति भागवत प्रसाद उर्फ छोटे किराना के दुकान करे है। जेठ मोरे साथै हिंसा करत रहै। मोर मनसवा या बात का लइके एक शब्द भी नहीं बोलत रहै। किराना के दुकान से कमाये रूपिया से दारू पियत रहै। मोहिका अउर बच्चन का बहुतै मारपीट करत रहै। मोर दुई बच्चा पति के मार मा मर गें हैं। चार बच्चन मा दुई जिन्दा हैं। पांचवा बच्चा जबै पेट मा आवा तौ मैं आपन भाई के आड मा तिन्दवारी कस्बा मा रहैं लागिव। मोर आठ साल के लड़की ज्योति भीख मांग के पेट रोटी चलावैं लाग। जबै मोरे बच्चा होय का समय आवा तौ मोहल्ला के मड़ई दुई हजार रूपिया चन्दा कइके भाई का दिहिन। भाई जिला अस्पताल मा भर्ती कइके वापस तिन्दवारी चला गा। चन्दा कीन रूपिया से दारू पी डारिस। चार दिन अस्पताल मा रहिंव। डाक्टर ताना देत रहैं कि पड़े-पड़े पलंग तोड़त है। मोहिसे सुना न गा तौ मैं अस्पताल से आपन घर चली आईंव। मैं आपन बच्चा खुदै पैदा करायेंव अउर आपन साफ सफाई भी खुदै करेंव। बच्चा पांच मिनट के बाद मर गा।”
औरतन के साथै होय वाली हिंसा के खिलाफ काम करैं वाली संस्था वनांगना सीनियर कार्यकर्ता बताइन कि कि माधुरी का तिंदवारी से बेहोशी हालत मा लायेंन। जिला अस्पताल मा भर्ती नहीं करत रहैं। डाक्टर कहैं कि यहिके हालत बहुतै खराब है। मर जई तौ कउन जिम्मेदार होई। खैर बहुतै मुश्किल के बाद भर्ती भे। इलाज चला तौ खून के बहुतै कमी रहै। खून के पूर्ति भी कीन गे। पीलिया, टाइफाइड अउर कमजोरी जइसे के बीमारी निकली। माधुरी के लड़की ज्योति का दमा अउर पीलिया बीमारी जांच मा निकरी। डाक्टर वहिका कानपुर रेफर कई दिहिन। पै वनांगना प्राइवेट इलाज दूनौ का करावत है।
“माधुरी कहिस मोहिका दूसर जिन्दगी वनांगना संस्था दिहिस है। अब मैं ससुराल न जा के आजादी के जिन्दगी जियैं का फैसला करे हौं।”