नवीनतम मातृ मृत्यु दर के मुताबिक, उन राज्यों में माताओं की मौत कम है, जिन राज्यों में समग्र ‘स्वास्थ्य प्रदर्शन’ में सुधार होता है।
एक विश्लेषण द्वारा, सबसे कम मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) के साथ 10 भारतीय राज्यों में से सात, सरकारी वैचारिक संस्था, नीति आयोग द्वारा प्रस्तुत 2015 स्वास्थ्य सूचकांक में सबसे उच्च स्थान पर रहे हैं।
‘स्वास्थ्य प्रदर्शन’ के अनुसार, राज्यों को स्थान दिए जाने वाले स्वास्थ्य सूचकांक शिशु और पांच वर्ष से नीचे की मृत्यु दर, लिंग, टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, स्वास्थ्य निगरानी और प्रशासनिक संकेतक जैसे अस्पताल में बिस्तरों की संख्या व स्थिति, स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन और लिंग अनुपात पर विचार करता है।
नीति आयोग के सूचकांक के मुताबिक केरल, पंजाब और तमिलनाडु स्वास्थ्य सूचकांक में शीर्ष पर तीन राज्य हैं, जबकि उत्तर प्रदेश (यूपी), जम्मू–कश्मीर और झारखंड ने आधार वर्ष (2014-15) में तेजी से सुधार किया है। मिजोरम और मणिपुर आठ छोटे राज्यों की सूची में सबसे ऊपर हैं।
भारत के ‘रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर’ द्वारा जारी नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण द्वारा जारी मातृ मृत्यु दर पर एक विशेष बुलेटिन के अनुसार, भारत में मातृ मृत्यु दर, प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु…. तीन वर्षों में 2014-16 तक, 167 से गिरकर 130 हुई है।
एमएमआर में सबसे अच्छा सुधार, लगभग 30 फीसदी उत्तर प्रदेश में हुआ है। जो 2011-13 में 285 से 2014-16 में 201 तक हुआ। इसके बाद केरल (24 फीसदी) का स्थान रहा है। केवल तीन राज्यों का एमएमआर 70 के एसडीजी लक्ष्य से नीचे है। वे राज्य हैं, केरल 46 फीसदी, महाराष्ट्र 61 फीसदी और तमिलनाडु 66 फीसदी।
भारत का 2015 सहस्राब्दी विकास लक्ष्य 1990 से तीन तिमाहियों में एमएमआर को कम करना था। प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 556 मौतों से 139 के एमएमआर तक। भारत ने 2015 तक 130 के एमएमआर तक पहुंचकर लक्ष्य से बेहतर प्रदर्शन किया है।
भारत के गरीब राज्यों में मातृ मृत्यु दर में गिरावट सबसे अधिक स्पष्ट थी। इस गरीब राज्यों को आधिकारिक तौर पर एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप (ईएजी) कहा जाता है,जिसमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तरांचल और उत्तर प्रदेश शामिल है, में सामूहिक दर 246 से 188 हुआ है। 77 के औसत एमएमआर के साथ, भारत के दक्षिणी राज्य 70 या उससे कम के सस्टैनबल डिवलपमेंट गोल(उचित विकास) से बहुत दूर नहीं हैं।
साभार: इंडियास्पेंड