काठमांडू, नेपाल। 18 अप्रैल को नेपाल के आगे माउंट एवरेस्ट के रास्ते में हिमस्खलन में (जब पहाड़ से बर्फ के बड़े टुकड़े गिरते हैं) सोलह लोगों की मौत हो गई। इनमें अधिकतर शरपा थे जो यहां घूमने आए लोगों को पहाड़ की चढ़ाई में मदद करते हैं। माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची शिखर है। हर साल दुनिया भर से लोग एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए लाखों रुपए खर्च कर आते हैं। यह राशि नेपाल देश की आमदनी का एक बड़ा ज़रिया है।
नेपाल के शरपा समुदाय के लोग इन पर्यटकों के लिए रास्ते में रस्सियां लगाने का काम करते हैं। 18 तारीख को बाहरी लोगों के लिए पहाड़ का रास्ता खुलने के पहले की तैयारी चल रही थी। नेपाल की सरकार ने चालीस हज़ार रुपए मुआवज़ा देने की घोषणा की है पर अब शरपा लोग एवरेस्ट छोड़कर घर लौट रहे हैं। पर दुर्घटना के बाद लगभग आधे से ज़्यादा शरपा काम छोड़कर लौट रहे हैं। उनका कहना है कि उनका काम खतरों से भरा है और वे पर्यटकों के लिए चढ़ाई करते समय सामान भी उठाते हैं पर सरकार की ओर से उनके लिए कोई सुविधाएं नहीं हैं। ना तो सरकार उनकी सुरक्षा पर ध्यान देती है और ना बीमा के लिए प्रावधान हैं।
कुछ ही हफ्तों में पर्यटकों के आने का समय हो जाएगा। शरपाओं के लौटने से नेपाल की सरकार पर दबाव है और अब वे श्रापाओं की कई शर्तों को मानने की बात कर रहे हैं।
माउंट एवरेस्ट के पास सोलह की मौत
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