विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यू एच ओ के दिशानिर्देश के अनुसार मृत प्रसव और गर्भावस्था की जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए भारत के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रसव से पहले गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का ख्याल दुगना रखना चाहिए।
नवंबर 2016 में, डब्लू एच ओ ने मृत प्रसव और गर्भावस्था में जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए यह ‘प्रसव पूर्व देखभाल मॉडल’ जारी किया है। वर्ष 2015 में एक अनुमान के अनुसार 3 लाख महिलाओं की मृत्यु गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं के कारणों से हुई है। जबकि 27 लाख बच्चों की मृत्यु जीवन के पहले 28 दिन के भीतर हुई है । विश्व स्तर पर देखें तो 26 लाख बच्चों का, जन्म के समय मृत्यु हुई है। यह जानकारी डब्लू एच ओ के आंकड़ों में सामने आई है।
15 फरवरी, 2017 को भारत सरकार ने अगले पांच वर्षों में, स्वास्थ्य सुविधाओं में गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को आधा करने का निश्चय किया है। यह सब मां, नवजात शिशु और बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल में सुधार के लिए एक नए नेटवर्क का हिस्सा है, जिसकी घोषणा डब्लूएचओ द्वारा 2017 में की गई थी। भारत के अलावा, इस नेटवर्क में बांग्लादेश, कोटे डी आइवर, इथोपिया, घाना, मलावी, नाइजीरिया, तंजानिया और युगांडा शामिल है।
मृत प्रसव और गर्भावस्था की जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। सही ढंग से देखभाल न होने का ही नतीजा है कि भारत में अब अधिक संख्या में महिलाएं प्रसव के लिए अस्पताल में दाखिल हो रही हैं, फिर भी मातृ मृत्यु दर में कमी नहीं हो रही है।
इंडियास्पेंड ने डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों में से कुछ का अध्ययन किया है और उन्हें लागू करने के लिए भारत की क्षमता का मूल्यांकन किया है:-
- गर्भवती महिलाओं के साथ कम से कम आठ प्रसव पूर्व जांच।
- मौखिक आयरन, फोलिक एसिड की रोजाना खुराक।
- टिटनेस टॉक्सॉइड टीकाकरण।
- 24 सप्ताह के गर्भ से पहले एक अल्ट्रासाउंड स्कैन।
- स्वस्थ भोजन और गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रखने के संबंध में परामर्श।
- स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व हर जांच में तुरंत सभी गर्भवती महिलाओं से पहले और वर्तमान में शराब और अन्य पदार्थों के सेवन के बारे में पूछना चाहिए।
फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड