जिला महोबा। रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की मूल ज़रूरतों में से हैं, इन्हीं जरुरतों में से एक जरुरत को पूरा कर रहा हैं, महोबा का रोटी बैंक। रोटी बैंक गरीब लोगों को भरपेट खाना खिलाने का काम 2015 से कर रहा है। बुंदेली समाज के अध्यक्ष हाजी पावेश भारती और संयोजक तारा पाटकर ने रोटी बैंक की शुरुआत की। रोटी बांटने का काम महोबा को छह जोन में बांटकर किया जाता है। आज पूरे देश में 100 से ज्यादा रोटी बैंक चल रहे हैं। रोटी बैंक शाम को हर घर से रोटी जमा करने का काम करते हैं।
रोटी बैंक के संयोजक तारा पाटकर कहते हैं, “हमारा उदेश्य था कि कोई भी भूखा न सोए, इसलिए हमनें रोटी बैंक की स्थापना की थी। शुरुआत में दस लोगों ने साथ दिया। धीरे-धीरे लोग भी हमारे साथ आए और तीन महीने के अन्दर ही पांच सौ घरों से हमारे पास भोजन आने लगा। आज स्थिति ये हैं कि हम भूखे लोगों को तलाशते हैं।”
संगीता महोबा में सड़क के किनारे रहती है। वह बताती हैं, “मैं दो साल से रोटी बैंक से खाना खा रही हूं। अब मुझे भूखे पेट नहीं सोना पड़ता है।”
पप्पू और 70 साल के परहोआ सिंह भी इस बैंक के माध्यम से भोजन खा रहे हैं।
आज रोटी बैंक गरीबों को गर्म कपड़े भी देने का काम कर रहा है । रोटी बैंक की हेल्प लाइन भी हैं, जिसके माध्यम से वे लोगों से अपील करते हैं कि उनके घर के आस-पास अगर कोई भूखा हो तो वे उन्हें उसके बारे में जानकारी दे।
आज पूरे देश में चल रहे रोटी की प्रेरणा महोबा का रोटी बैंक ही है। रोटी बैंक सड़क के किनारे, कचहरी और रेलवे स्टेशन पर रहने वाले बेघरों को रोटी देने का काम कर रहे हैं। रोटी बैंक का नारा हैं कि महोबा में कोई भी भूखे पेट नहीं सोएं।
रिपोर्टर- श्यामकली
Published on Jan 23, 2017