अधिशाषी अभियंता नगरीय विकास अभिकरण अबरार अहमद का कहना है कि आय कम होनी चाहिये। भारतवर्ष में कोई पक्का आवास नहीं होना चाहिये, उसकी खुद की जमीन होनी चाहिये। कच्चा घर होना चाहिये। ये सारी शर्ते प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए लाभार्थी के लिए अनिवार्य हैं। पर क्या लाभ मिलना इतना आसान है?
लोगो का कहना है कि हम गरीब हैं तो अपना परिवार पाले कि अपना मकान बनवाएं। हमें तो ये है कि हमारे बच्चे पल जायें। अगर सरकार दे देगी तो बना लेंगें। पर सरकार गरीबों की तरफ ध्यान नहीं देती है। महोबा जिले जैतपुर ब्लाक के कुलपहाड़ कस्बे के लोग ये अनिवार्य शर्ते पूरी करने का बाद भी पक्के आवास से वंचित हैं।
राजकुमारी का कहना है कि बच्चा पालने के कारण घर नहीं बनवा पाते हैं। सरकारी मकान आ जायेगा तो बनवा लेंगें। कच्चे मकान में बरसात में डर लगता है लेकिन रहने के लिए बेवस हैं। जियारानी ने बताया है कि सबके आवास आये हैं हमारा भी आ जाय तो हम भी बनवा लें। रमेश का कहना है कि तीन चार महीना पहले से नाम भरें हैं। अखिलेश की सरकार बनने से पहले भर गये थे। लिस्ट में नाम भी आ गया था, लेकिन सर्वे में लेखपाल ने बताया कि नाम कट गया है। पता नहीं कि क्यों कटवा दिए हैं। मलखान ने बताया है कि हमारे पास पैसा नहीं है। उन्होंने कहा था कि तुम्हारा मकान बन जायेगा। लेकिन लिस्ट से नाम कटवा दिया गया है।
अधिशाषी अभियंता नगरीय विकास अभिकरण अबरार अहमद का कहना है कि शासन से केवल दस लोगों का पैसा आया था। वो उनके खाते में पहुंचा दिया गया है। प्रधानमंत्री आवास से लगभग दो सौ लोग वंचित हैं। अप्लिकेशन लिखकर भेज देंगें कि कोई पात्र व्यक्ति न रह जाए। उसी के बारे में छानबीन करवा रहे हैं।
रिपोर्टर: श्यामकली
Published on May 2, 2018