भाजपा सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन योजना 2014 में निकाली थी, ताकि शौचालय बन जाएँ और किसी को शौच के लिए बाहर ना जाना पड़े। स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत लाभर्थियों को शौचालय बनवाने के लिए बारह हजार रूपये दिए जाते है। ये 2018 में हो गया है, लेकिन अभी भी जिला महोबा के कुलपहाड़ कस्बा में शौचलय अधूरे पड़े हैं। क्योंकि दूसरी क़िस्त नहीं आई है। लोगों को सिर्फ आठ हजार रूपये मिले हैं। जब गांव वाले कर्मचारियों के पास दूसरी क़िस्त मांगने जाते हैं, तो उनको भगा दिया जाता है। ऐसे कैसे बनेगा स्वच्छ भारत?
गीता ने बताया कि आठ हजार रूपये दे रहा है, तो आठ हजार में शौचालय नहीं बन सकता है ना। कहाँ से पैसा पाए और कैसे बनवाएँ? पति और एक लड़का खत्म हो चुके हैं। कमाने वाले कोई नहीं हैं, मैं बनी मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट पाल रही हूँ। सुमित्रा ने बताया कि शौच के लिए ज्यादा दिन में भी नहीं खाती हूँ और रात में तो एक भी नहीं खाती हूँ। क्योंकि अगर रात में शौच को जाना पड़े और कहीं गिर जाएँ, हाथ पैर टूट जाएं तो क्या करें?
हल्केराम का कहना है कि हम गये नगर पंचायत तो वो कहते हैं कि पहले सीट बैठाव और दरवाजा लगवाओं। फिर आगे की क़िस्त मिलेगी। पड़े आदमी हमें भगा देते हैं। सरकार मदद कर देगी, तो अभी बना लेंगें नहीं, तो पेट काटकर बनी मजदूरी करके दो चार साल बाद में बनवाएँगे।
कर्मचारी नगर पंचायत राजू का कहना है कि अब नियम हो गया है, कि जब तक सीट वा दरवाजा नहीं लग जाता और सर्वे नहीं हो जाता है। तब तक आगे कि क़िस्त नहीं मिल सकती है। सरकार की तरफ से आठ हजार की सहयोग राशि मिलती है। हमारे पास भी लोग आते है, शिकायत भी करते हैं।
रिपोर्टर: श्यामकली
Uploaded on May 25, 2018