महिलायों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों में ‘महिलाओं के खिलाफ अपराधिक जांच इकाइयों’ को बनाने का आदेश पारित किया है.
बलात्कार, दहेज प्रथा, एसिड हमले और मानव तस्करी जैसे संगीन मामलों में यह विशेष जांच इकाइयां, पुलिस की मदद करेंगी. जांच के अलावा इन इकाइयों को मौजूदा कानून का नियंत्रण और महिला हिंसा को रोकने के लिए समाज में जागरूकता भी फैलानी होगी.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का मानना है कि इन इकाइयों के बनने के बाद महिलाएं, अपने अपराधों के खिलाफ खुल कर बोल सकेंगी, शिकायत दर्ज करेंगी. इन इकाइयों से राज्य पुलिस बल के लिंग अनुपात में भी सुधार होगा.
गृह मंत्रालय ने प्रत्येक राज्यों के ‘सर्वाधिक अपराध’ वाले जिलों में पायलट आधार पर 150 ऐसे जांच इकाइयों को स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। केन्द्रीय सरकार के अनुसार, हर राज्य के 20% ज़िलों में ये जांच इकाइयां बनाई जायेंगी, जहां के हर विभाग में 15 कर्मचारी होंगे, जिनमें से 5 महिलायें भी होंगी. इन कर्मचारियों की आधी तनख्वाह केंद्र सरकार से और बाकी राज्य सरकार से आयेगी.
तेलंगाना राज्य इस आदेश पर इन इकाईयों की शुरूआत कर चुका है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री, के. चंद्रशेखर राव अपने राज्य के कानून और शासन व्यवस्था को मज़बूत बनाना चाहते हैं. उनका मानना है कि इस पहल के माध्यम से ये लक्ष्य हासिल हो सकता है.
इस प्रस्ताव के लिए केन्द्रीय सरकार ने कोई समय सीमा नहीं दी है. कानून व्यवस्था राज्य का विषय है इसलिए इन इकाईयों को शुरू करने का काम राज्यों का ही होगा.