इस साल जुलाई में सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में एक गर्भनिरोधक इंजेक्षन डिपो मेड्रोक्सिप्रोगेस्टेरोन एसीटेट (डीएमपीए) पेश किया। ये इंजेक्शन परिवार विकास मिशन में मुफ्त में उपलब्ध है, ये देश के 145 जिलों में परिवार नियोजन को बेहतर बनाने की कोशिश भी है।
ये महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये भारत की जनसंख्या पर नियंत्रण लगाएगा। हालांकि डीएमपीए इंजेक्शन के साथ विवाद भी जुड़े हैं, क्योंकि इससे स्तन कैंसर, कमजोर हड्डियां और प्रजनन क्षमता के खत्म होने जैसे खतरे भी हैं। जो इस इंजेक्षन का समर्थन कर रहे हैं, उनका कहना है की इसके लाभ जोखिम से अधिक हैं। इसके प्रयोग से पहले ही इसके दुष्प्रभावों पर बात हो रही है।
स्वास्थ्य कार्यकर्ता और महिलाओं के अधिकार पर काम करने वाले समूहों का कहना है की इस इंजेक्शन को बिना इसके दुष्परिणामों को बताए गरीब महिलाओं में इस्तेमाल किया जाएंगा। डीएमपीए एक दवा इंजेक्शन है, जो अंडाष्य को प्रत्यारोपित करना मुश्किल कर देता है। इसे रोज देने की जरुरत नहीं होती है, पति की असहमति पर महिलाएं इसका प्रयोग कर सकती हैं, क्योंकि इसके प्रयोग का पता पति को नहीं हो सकता है।
दक्षिण पश्चिम एशियाई देशों में 2017 की मातृ मृत्युदर देखें तो एक लाख जन्म में मातृ मृत्युदर नेपाल में 258 हैं, जो इन देशों में सबसे ज्यादा है, वहीं थाईलैण्ड में ये दर 20 है। भारत में 174, बांग्लादेश में 176, श्रीलंका 30 मातृ मृत्युदर की संख्या है। वहीं गर्भनिरोधक इंजेक्शन का प्रयोग देखे तो दक्षिण एशिया में 2015 में इसके प्रयोग का प्रतिशत भूटान में 29.3, श्रीलंका में 15.7, बांग्लादेश में 14.1, पाकिस्तान में 3.2, भारत में 0.1 था। लेकिन नफा नुकसान से परे अब जल्द ही ये देश के गांव-गांवों में प्रयोग के लिए आने वाली है।
लेख साभार: इंडियास्पेंड