अब हर हफ्ते खबर लहरिया में पढ़ें महिला पत्रकारों की कुछ खास खबरें। राजनीति, विकास, संस्कृति, खेल आदि की ये खबरें देश के कोने-कोने से, छोटे-बड़े शहरों और अलग-अलग गांवों से हैं। इस हफ्ते, पढ़ें रिज़वाना तबस्सुम की खबर बनारस से। रिज़वाना ने इसी साल पत्रकारिता में एम.ए. की पढ़ाई पूरी की और इस समय एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम कर रही हैं।
जि़ला वाराणसी, गांव भट्ठी। वाराणसी से भदोही जाने वाले रास्ते पर स्थित भट्ठी गांव इन दिनों खूब चर्चा में है। कारण बनारस का यह पहला गांव है जो पूरी तरह वाई-फाई हो गया है। वाई-फाई यानी पूरे गांव में सबको इंटरनेट की सुविधा मुफ्त में दी गई है। लोग इंटरनेट से भी खुश हैं और इसके कारण देशभर में हो रही उनके गांव की चर्चा से भी खुश हैं। मगर बिजली के संकट ने इस मज़े को थोड़ा किरकिरा ज़रूर किया है।
यहां रहने वाले विकास ने बताया कि जब बत्ती आती है तो इंटरनेट चलता है, जब बत्ती गुल तो इंटरनेट भी गुम और यह सबको पता है कि उत्तर प्रदेश के गांवों में बत्ती कितनी आती है! यानी बिजली संकट इंटरनेट के रास्ते बड़ी बाधा है। हाथ में इंटरनेट के कमज़ोर और मज़बूत होते सिग्नलों को दिखाते हुए सुनील ने बताया कि इसमें कुछ देखा तो जा सकता है मगर ज़्यादा काम नहीं हो सकता। इंटरनेट बहुत धीमा चलता है। हमने तो अपना नेट पैक डलवा रखा है। ज्योति तो थोड़ा झल्लाकर कहती हैं कि यह मुफ्त इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए तालाब किनारे यानी कंट्रोल रूम भागकर जाना पड़ता है। क्योंकि वाई-फाई तो एक सौ पचास किलोमीटर के दायरे में चलता है। अब लड़कियां घड़ी घड़ी वहां नहीं जा सकतीं।
गांव में मोबाईल रिचार्ज की एक दुकान चलाने वाले जंगबहादुर ने बताया कि इससे खास फायदा नहीं हुआ है। एक तो गांव में बिजली नहीं रहती दूसरे जब बिजली आती भी है तो सिग्नल बहुत कमज़ोर रहता है। इसीलिए लोग पहले की तरह ही इंटरनेट पैक डलवा रहे हैं। बिक्री में तो कोई अंतर नहीं आया है।
गांव की प्रधान प्रभावती देवी ने बताया कि बनारस के घाट पर वाई-फाई लगे हुए हैं बस उसी से प्रेरणा मिली। और गांव के युवा भी कहते थे। अभी तक इस पर पन्द्रह हज़ार रूपए खर्च हुए हैं। महीने का खर्च बारह सौ रूपए है।