खबर लहरिया न्यूज़ नेटवर्क महिला पत्रकारों का एक समूह है। इस हफ्ते पढ़ते है करवा चौथ को लेकर खबर लहरिया की एक वरिष्ठ पत्रकार का नजरिया।
उत्तर प्रदेश में सरकारी योजनाओं का जो हाल है वह किसी से नहीं छिपा। अभी हाल ही में जि़ले के कई गावों में खबर के सिलसिले में घूमते हुए योजनाओं की पोल खुलने का ताज़ा एहसास हुआ। करवाचैथ के दूसरे दिन की बात है। प्राइमरी के बच्चे स्कूलों के बाहर ड्रेस पहनकर घूम रहे थे। स्कूल के गेट में बड़ा सा ताला लटक रहा था। धूल में खेलते बच्चों से पूछा, ‘स्कूल बंद हो गया?’ तो जवाब मिला नहीं बंद ही था। पूछा, ‘क्यों आज क्यों? छुट्टी है?’ तो फिर जवाब मिला। पता नहीं। बस स्कूल आए तो ताला था। पास में दीयाली बना रहे कुम्हार से पूछा तो बताया, ‘हां, छुट्टी तो है मगर क्यों पता नहीं। शायद कोई आपातकाल है।’ ऐसा कौन सा आपातकाल यूपी में घोषित हो गया कि स्कूलों को अफरातफरी में बंद करना पड़ा? मैंने पास में खुदाई का काम कर रहे एक व्यक्ति से पूछा कि स्कूल क्यों बंद है? जवाब मिला, ‘जी स्कूल अगर खुल जाएं तो किस्मत जानिए वरना ताला तो अक्सर दिखाई देता है।’ अभी इस सवाल से जूझ ही रहे थे कि आंगनबाड़ी केंद्र भी बंद मिला। फिर पूछा कि आंगनबाड़ी क्यों बंद है? तो पास में खड़े एक नौजवान ने कहा कि आपातकाल छुट्टी घोषित हुई है। घबराहट का स्तर बढ़ता जा रहा था। आखिर ऐसा आपातकाल क्या उत्तर प्रदेश में आ गया जिसके चलते सरकारी विभागों पर ताला डालना पड़ा। उस नौजवान ने बताया कि हमारी मां प्रधान हैं। उन्हें सूचना दी गई कि आपातकालीन छुट्टी है आज। गुस्साए हुए एक अधेड़ ने कहा कि आपातकाल तो प्रदेश में तभी आ गया जबसे समाजवादी पार्टी आ गई। स्कूल, आंगनबाड़ी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो खुलते कम और बंद ज़्यादा रहते हैं। कल तो करवाचैथ था सो स्कूल बंद ही थे। दशहरे की एक हफ्ते की छुट्टी अभी मनी ही थी। महीने में पंद्रह दिन छुट्टी रहती है। उसमें मनमाने टाइम में मास्टर जी आते हैं। सर्दियों में ठंड और गर्मियों में धूप उनसे सही नहीं जाती। बारिश तो फिर घर से न निकलने का सबसे अच्छा बहाना है।