अमृता कुमारी बिहार के समस्तीपुर जि़ले में स्वतंत्र पत्रकार हैं।पिछले करीब अट्ठारह सालों से पत्रकारिता कर रहीं हैं। राजनीतिक, सामाजिक मुद्दों में गंभीर रिपोर्टिंग कर चुकी हैंं। यह विचार उनके हैं।
बिहार में विधानसभा चुनावों में महिला वोटर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। केवल बात समस्तीपुर जिले की करें तो यहां दस विधानसभा क्षेत्र हैं। कुल छब्बीस लाख तेरह हजार पांच सौ इक्यावन वोटर हैं। इसमें बारह लाख चैदह हजार पांच सौ सतहत्तर वोटर महिलाएं हैं। यानी चुनाव के फैसले में महिला वोटरों की भूमिका निर्णायक रहेगी।
अगर नीतीश कुमार की बात करें तो महिलाओं के लिए इन्होंने कई योजनाएं निकालीं। पंचायतों में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण भी नीतीश राज में मिला। जमीनी स्तर पर भी महिलाएं नीतीश राज से खुश हैं। लड़कियों के लिए स्कूल में साइकिल योजना समेत कई और योजनाएं भी शुरू हुईं। शिक्षकों की भर्ती में भी आधी सीट महिलाओं को मिली। 2010 में भी महिला वोट नीतीश को एकजुट होकर मिला था। लेकिन लालू राज का डर अभी तक महिलाओं के मन से नहीं गया है। ऐसे में लालू से हाथ मिलाने वाले नीतीश को वोट देने को लेकर थोड़ी ऊहापोह भी महिलाओं में है।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के पास दिखाने के लिए अभी जमीनी स्तर पर कुछ नहीं है। केंद्र में आने के बाद कई घोषणाएं तो हुईं। मगर उनकी शुरुआत अब तक होनी बाकी है। राज्य स्तर पर महिलाओं को चुनाव के लिए एकजुट करने के लिए कोई साझा मंच भी नहीं है जिससे की साफ साफ राय पता लगाई जा सके। कुल मिलाकर महिलाओं की मुट्ठी में नतीजे अभी बंद हैं। मुट्ठी खुलने तक हमें इंतजार करना पड़ेगा। चुनाव नतीजों में यह सारी महिलाएं अपने ही फैसले से वोट डालेंगी, यह भी नहीं है। शहरी और ग्रामीण महिलाओं से बातचीत के दौरान यह बात साफ तौर पर निकलकर आई। ज्यादातर ग्रामीण महिलाओं ने यह कहा भी कि जिसे कहा जाएगा वोट डाल देंगी।