यौन हिंसा, सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रथाओं के नाम पर होने वाला उत्पीड़न और मानव तस्करी में भारत का सबसे खराब रिकॉर्ड माना जा रहा है। इसका अर्थ है कि भारत को अब महिलाओं के लिए दुनिया में कम सुरक्षित देश माना जाने लगा है।
ये ‘थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन’, द्वारा किए गए वैश्विक धारणा सर्वेक्षण के निष्कर्ष हैं। इस सर्वेक्षण में महिलाओं के लिए समग्र सुरक्षा पर राष्ट्रों का आकलन करने के लिए महिलाओं के मुद्दों पर 558 विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।
इम मुद्दों पर देश वर्ष 2011 में चौथे स्थान पर था, लेकिन अब पहले स्थान पर है। दरअसल, भारत में महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों ने 2018 में अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी हैं। इनमें जम्मू–कश्मीर के कठुआ जिले में आठ वर्षीय असिफा का मामला और झारखंड में तस्करी विरोधी कार्यकर्ताओं के साथ सामुहिक बलात्कार का मामला शामिल है।
सात साल बाद, 2018 के सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत को तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश माना गया है….
1- यौन हिंसा: घरेलू बलात्कार, बलात्कार के मामलों में न्याय तक पहुंच की कमी, यौन उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के रूप में सेक्स के लिए मजबूर होना..
2- सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथा: मादा जननांग विघटन, बाल और जबरन विवाह, शारीरिक दुर्व्यवहार और महिला भ्रूण हत्या और
3- मानव तस्करी: घरेलू दासता, जबरन श्रम और जबरन विवाह आदि।
वर्ष 2016 में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ कम से कम 39 अपराधों की सूचना मिली थी, यह आंकड़े 2007 में 21 थे।
सरकार महिलाओं के खिलाफ भेदभाव वाले कानूनों को हल करने में विफल रही है। जिसमें वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानना और खाप पंचायतों को अवैध करार देना शामिल है।
महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए आवश्यक उपायों के बारे में पूछने पर विला कहती हैं, ” द थ्री ईएस: लैंगिक समानता पर लड़कों को शिक्षित करना, लड़कियों को आर्थिक और सामाजिक रूप, दोनों से सशक्त बनाना, और ऐसे उन कानूनों को लागू करना जो मौजूद हैं लेकिन लागू नहीं किया गया है। “
लेख साभार: इंडियास्पेंड