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महिलाओं के प्रति 83% बढ़े अपराध जबकि सजा दर में कमी आई

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 83% की बढ़त आई है जबकि सजा दर कम हो रही है।
2016 में भारत में अपराध रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ कम से कम 39 मामलों की सूचना मिली है। जबकि 2007 में यह आंकड़े 21 थे।
2016 में, महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 55.2 दर्ज की गई है। जबकि 2012 में यह आंकड़े 41.7 थे।
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में सबसे ज्यादा मामलेपति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरतादर्ज की गई है। 2016 में दर्ज सभी अपराधों में 33 फीसदी हिस्सेदारी पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के मामले हैं।
महिलाओं के खिलाफ सभी अपराधों में 11 फीसदी हिस्सेदारी बलात्कार की है। 2016 में बलात्कार के 38, 947 या हर घंटे चार मामले दर्ज किए गए है।
साल 2016 में महिलाओं के खिलाफ सजा दर 18.9% यानी जिन मामलों में अदालतों द्वारा दोषी ठहराए जाने वाले मामलों का दशक में सबसे कम दर्ज किया गया है।
पिछले दशक में भारत में महिलाओं के खिलाफ करीब 2.5 मिलियन अपराध दर्ज किए गए हैं। दर्ज किए गए महिलाओं के खिलाफ अपराध में मामलों में 83 फीसदी की वृद्धि हुई है।
दिल्ली के केंद्रशासित प्रदेश में उच्चतम अपराध दर दर्ज की गई है। दिल्ली के लिए यह आंकड़े 160.4 है जबकि राष्ट्रीय औसत 55.2 दर्ज किया गया है। दिल्ली के बाद असम 131.3, ओड़िशा 84.5 , तेलंगाना 83.7 और राजस्थान 78.3 का स्थान रहा है।
2016 में भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा 15% मामले दर्ज किए गए हैं। 2016 में उत्तर प्रदेश के यह आंकड़े 49,262 या हर घंटे छह का रहा है।
उत्तर प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल 32,513, महाराष्ट्र 31,388, राजस्थान 27,422 और मध्यप्रदेश 26,604 का स्थान रहा है।

फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड