प्रिय प्रधान मंत्री जी,
मेरा नाम मनिकराओ मुंडे है। मेरी उम्र 65 साल है और मैं महाराष्ट्र के बीड जि़ले के माजलगांव में रहता हूँ। मैं वंजरी समाज का हूँ और आपकी ही तरह पिछड़ी जाति से हूँ। मेरे पास पाथरुड तालुका में 15 एकड़ ज़मीन है। मैं पिछले 15 साल से किसान हूँ। गन्ना और रुई की खेती कर रहा हूँ। पिछले कुछ साल में मानसून बहुत खराब हुए है और बारिशें नहीं हुई हंै। आस-पास सिंचाई के लिए नहरें भी नहीं है। मेरा एकमात्र सहारा कुआं ही था वो भी पिछली गर्मी सूख गया। मैंने बोरवेल में पैसा लगाया मगर 400 फीट खोदने पर पानी नहीं निकला।
पिछले 2 साल से मेरे पास बेचने के लिए लगभग कुछ नहीं है। पिछले साल हमारे पास बहुत ही कम रुई थी। उसपर चीज़ों की कीमत गिर गई। गन्ना कुछ साल पहले तक एक क्विंटल पच्चीस सौ रूपए का बिकता था, पिछले साल पंद्रह सौ रूपए का बिका। पिछले साल मैने अपनी 15 एकड़ ज़मीन पर डेढ़ लाख का नुकसान उठाया है और बोरवेल के सत्तर हज़ार अलग दिए।
प्रधानमंत्री जी, लोग अब बोलने लगे है । सबसे बुरा संकट अभी पानी का है। हर दिन हमें पता नहीं होता कि हमारे और हमारे जानवरों को पीने के लिए पानी होगा या नहीं। आप बारिश तो नहीं करवा सकते मगर कुछ कदम उठा सकते हैं। जब तक सरकार कृषि उत्पाद की सही कीमत नहीं दिलवाती हमारे लिए कोई उम्मीद नहीं है।
नया वर्ष आपके लिए शुभ हो।
महाराष्ट्र के किसान ने प्रधानमंत्री को लिखी चिठ्ठी
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