ऑस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय, ‘न्यू साउथ वेल्स’ के शोधकर्ताओं ने 10 अप्रैल को ऑस्ट्रेलिया और भारत के ज्ञान को सांझा कर महात्मा गांधी के चश्में को नई तकनीक द्वारा, व्यर्थ हुई प्लास्टिक की थैलियों को दोबारा इस्तेमाल करके चश्मे की एक नकल बनाने का प्रस्ताव रखा। इस प्रयोग में प्रोफेसर वीणा सहजवाला, वैभव गायकवाड़ और अनिर्बान घोष ने सहयोग किया है।
इस प्रयोग को शोधकर्ताओं ने महात्मा गांधी की याद में एक श्रद्धांजलि की तरह प्रस्तुत करने का सोचा है। आपको बता दें कि ये चश्मा नयी तकनीक थ्री-डी प्रिंटिंग से बना है।