जिला बांदा। जिले में कुल दो लाख दस हजार जाब कार्डो में काम के लिए 2014-15 में 63 करोड 35 लाख रुपए का बजट पास हुआ है। फिर भी लोगों को काम न मिलने, भुगतान न होने और प्रधानों द्वारा जाब कार्ड अपने पास रखने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
बबेरू ब्लाक, गांव रगौली। यहां के इन्द्रपाल ने बताया कि मनरेगा के तहत 2011 की अस्सी खन्ती और 2014 की पिच्यासी खन्ती का भुगतान बाकी है। अगस्त 2014 में इन खन्तियों की नाप दोबारा हो चुकी है लेकिन पैसा नहीं मिला। मोहनलाल और वीरेन्द्र ने बताया कि प्रधान दो साल से सबके जाब कार्ड अपने पास रखे है।
प्रधान शत्रुधन सिंह का कहना है कि किसी की मज़दूरी बाकी नहीं है। पैसा चढ़वाने के लिए अभी जाब कार्ड ज़रूर मेरे पास हैं।
तिन्दवारी ब्लाक गांव बम्बिया। यहां की सुनीता, प्रेमचन्द्र और महेश ने बताया कि सितंबर के महीने में हमने मिट्टी डालने का काम किया। काम बंद हुए बीस दिन हो गए लेकिन मजदूरी नहीं मिली।
प्रधान शिवचरण ने बताया कि उसने मस्टर रोल भरकर जमाकर दिया है। लोगों के खाते में पैसा भेजना सरकार का काम है। जबकि बी.डी.ओ. ओ.पी. शुक्ला कहते हैं कि खातों में मजदूरी का रुपया डाल दिया गया है।
ब्लाक नरैनी का गांव सिघौटी। रामकेश, हीरालाल, सुनैना और चुनबादी ने बताया कि पूर्व प्रधान के समय मेड़बन्दी का काम पैंतालिस मज़दूरों ने किया। अब वर्तमान प्रधान हमारी सत्तर हज़ार मज़दूरी नहीं दे रहा है। हमने बी.डी.ओ. और तहसील दिवस में मांग की लेकिन कुछ ना हुआ।
पंचायत मित्र युगुल किशोर कहते हैं कि हमारी ग्राम पंचायत में किसी का पैसा बाकी नहीं है। नरैनी बी.डी.ओ. रामकिशन का कहना है कि इतना पुराना पैसा नहीं मिलेगा।
महात्मा गांधी नरेगा सेल के उपायुक्त उमेश चन्द्र तिवारी ने बताया कि प्रधान जाब कार्ड नहीं रख सकता है। गांव जाकर मैं खुद जांच करूंगा। अगर ऐसा होगा तो प्रधान के खिलाफ एफ.आई.आर. होगी।
मनरेगा में मनमानी – कहीं काम नहीं तो कहीं मज़दूरी नहीं
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