सरकार रोजगार गारंटी योजना लागू करिस रहै कि मजदूरन का साल मा सौ दिन का ेकाम मिलै अउर उंई बाहर मजदूरी करै न जाय। पै या योजना का असर तौ उल्टा देखै का मिलत है। गांवन मा न मड़इन का सौ दिन का काम मिलै न समय से मजदूरी का रूपिया दीन जाय। यहै से मड़ई इनतान के ठंडी मा पलायन करै का मजबूर हैं। मनरेगा का गांवन मा का असर होत है वहिका पलट के सरकार काहे नहीं देखै?
कुछ गांवन मा अगर मागे से काम मिलत भी है तौ मजदूरन का मजदूरी का रूपिया पावै के खातिर प्रधान से लइके डी.एम. तक के हजारन चक्कर लगावै का परत हैं। यहिके बाद भी उनके सुनवाई नहीं होत आय। अगर नियम है कि मनरेगा के काम के मजदूरी एक हप्ता मा दीन जई तौ एक साल का समय काहे लागत है?
बांदा जिला,ब्लाक,नरैनी का पौहार गांव अउर तिन्दवारी ब्लाक के गांव अतरहट के एक सौ दस मजदूर मजदूरी के रूपिया खातिर अधिकारिन के चक्कर लगावत थक गें पै समस्या ज्यो का त्यो बनी है। या बात जानै के बाद भी प्रशासन कउनौ ठोस कदम काहे नहीं उठावत आय? मड़इन का समस्या के उपर समस्या काहे झेलै का परत है? यतनी नींक योजना का भी पूरा लाभ गरीबन खातिर निंहाय तौ आखिर जनता केहिसे उम्मीद करै? अगर सौ दिन का लाभ भी मिल जाय तौ उनका कुछ राहत मिल सकत है। काम के बाद मजदूरी खातिर अधिकारिन के चक्कर लगावै मा भी उनहिन का भाड़ा किराया लागत है। यहिके भरपाई आखिर को करी?
मनरेगा का पलट के देखै सरकार
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