नई दिल्ली। 8 अक्टूबर को नई दिल्ली में मनरेगा योजना पर काम कर रहे कई कार्यकर्ता एक मंच पर आए। इन्होंने पत्रकारों के साथ एक मीटिंग में नरेंद्र मोदी की सरकार को एक खुले पत्र में मनरेगा से जुड़े कई सवाल पूछे हैं।
बैठक में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रौय ने कहा कि सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार मनरेगा में कई ऐसे बदलाव लाने के बारे में सोच रही है जिनसे योजना और भी कमज़ोर पड़ जाएगी। उनके साथ मौजूद और कार्यकर्ताओं ने भी सरकार के इस रवैये पर चिंता जताई।
नई सरकार की सोच
– मनरेगा में सौ दिन का रोज़गार सिर्फ ऐसे जिलों में दिया जाएगा जहां ज़्यादातर आबादी अनुसूचित जाति और जनजाति समुदायों की है या जो जिले बहुत पिछड़े हैं।
– मनरेगा में हर कार्य के बजट का साठ प्रतिशत हिस्सा जो मज़दूरी पर खर्च होता था, उसे कम करके इक्यावन प्रतिशत कर दिया जाएगा।