मध्यप्रदेश में पुलिस पर किसानों की पिटाई करने और फिर उन्हें निर्वस्त्र करने का आरोप है। बताया जा रहा है कि जिले के किसान अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान किसानों को पुलिस ने न केवल पीटा, बल्कि उन्हें गिरफ्तार कर थाने में उन्हें अर्धनग्न हालत में रखा गया।
कांग्रेस के आह्वान पर मंगलवार को किसान ‘खेत बचाओ किसान बचाओ आंदोलन’ के तहत सडक़ों पर उतरे थे। वे जिलाधिकारी अभिजीत अग्रवाल को ज्ञापन सौंपना चाहते थे। लेकिन अग्रवाल ज्ञापन लेने को तैयार नहीं थे और उन्होंने बतौर प्रतिनिधि अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) आदित्य सिंह को भेजा। किसान जिलाधिकारी को ही ज्ञापन देने पर अड़े थे। इस दौरान पुलिस व अन्य के बीच झड़प हो गई, जिसके बाद पुलिस ने किसानों पर लाठी चार्ज, आंसू गैस के गोलों और पानी की बौछारों का इस्तेमाल कर उन्हें खदेड़ दिया।
पुलिस की इस कार्रवाई के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मध्यप्रदेश सरकार को इस मामले में नोटिस जारी किया है। नोटिस में वरिष्ठ अधीक्षक और पुलिस डीजी दोनों से अगले चार हफ्तों में जवाब मांगा गया है। किसानों का मानना था कि इससे प्रशासन उनकी समस्या को गंभीरता से लेगा और मामले का हल निकाला जा सकेगा। किसानों की मांग थी कि सरकार उन्हें फसल खराब होने का मुआवजा दे।
किसानों ने बताया कि उनमें से एक पुलिसक्रमी ने तो उन्हें आतंकवादी तक कहा। हालांकि टीकमगढ़ पुलिस ने इस बात से इनकार किया है कि किसानों को पुलिस स्टेशन में पीटा गया।
गौरतलब है कि लगभग चार महीने पहले भी राज्य में किसानों ने अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मंदसौर जिले के पांच किसानों की मौत हो गई थी।