यूपी सरकार ने अब मदरसों में भी एनसीईआरटी की किताबों से विज्ञान, गणित और अंग्रेजी की पढ़ाई कराने का फैसला किया है और विज्ञान और गणित को जरूरी कर दिया है।
मदरसों की तालीम को आधुनिक बनाने की कई कोशिशें की गई हैं। आधुनिक शिक्षाविद मानते हैं कि बच्चे को 12 साल की उम्र तक ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जिसमें सभी चीजों की पढ़ाई हो। लेकिन देश के ज्यादातर मदरसों में आधुनिक शिक्षा नहीं दी जाती।
उलेमा का एक तबका कहता है कि कुछ लोग दीन की खिदमत के लिए पैदा हुए हैं, उन्हें दुनियावी तालीम की जरूरत नहीं है। इसलिए अभी ज्यादातर मदरसों में उर्दू जुबान, उर्दू व्याकरण, उर्दू आदाब, उर्दू जबान, अरबी व्याकरण, अरबी अदब, कुरान, कुरान की व्याख्या, हदीस, हदीस की व्याख्या, इस्लाम का इतिहास, इस्लाम कानून, मन तक यानी तर्क शास्त्र और कहीं कहीं फारसी भी पढ़ाई जाती है। अब सरकार इसके साथ आधुनिक शिक्षा भी देगी।
लेकिन मुसलमानों का एक तबका इसे शक की नजर से देख रहा है। उसे लगता है कि मदरसों के जरिए सरकार अपना कुछ मकसद पूरा करना चाहती है। वो आम शिक्षा और संस्कृत पाठशालाओं में सुधार क्यों नहीं कर रही? अगर ये लागू हो गया तो 16 हजार मदरसों में इन विषयों के प्रशिक्षित शिक्षक कहां से आएंगे? इसका जवाब मिलने और उनके शक दूर होने में अभी वक्त लगेगा।