प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 अप्रैल को अपने सोशल मीडिया के अकाउंट से घोषणा करते हुए कहा, ‘28 अप्रैल 2018 को भारत की विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा। कल हमने एक वादा पूरा किया, जिससे भारतीयों के जीवन में हमेशा के लिए बदलाव आएगा। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि अब भारत के हर गांव में बिजली सुलभ होगी।’
गांवों तक बिजली पहुंचाने का काम करने वाली नोडल एजंसी ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) ने ऐलान किया कि देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचा दी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त 2015 को जब एक हजार दिन के भीतर सभी गांवों को रोशन करने के लक्ष्य की घोषणा की थी, तब देश में कुल 18,452 गांव बचे थे, जहां बिजली पहुंचाने का काम बाकी रह गया था।
इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने 75,893 करोड़ रुपए की ‘दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ (डीडीयूजीजेवाई) का ऐलान किया था। इस योजना की नोडल एजंसी आरईसी को बनाया गया था। ये ऐसे गांव थे, जहां आजादी के करीब 70 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंची थी। अब सभी गांवों में 28 अप्रैल तक नेशनल ग्रिड या ऑफ ग्रिड से बिजली पहुंचाई जा चुकी है। इनमें 1236 गांव ऐसे भी हैं, जहां कोई रहता नहीं है और 35 गांवों को चरागाह रिजर्व के रूप में घोषित किया गया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बिजली से रोशन होने वाले कुल गांवों की संख्या 597,464 हो गई है।
ग्रामीण विद्युतिकरण का काम दिसंबर, 2017 तक पूरा करने का आंतरिक लक्ष्य बिजली कंपनियों ने निर्धारित कर रखा था, लेकिन जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में कठिन भौगोलिक स्थिति के कारण समय लगा।
31 मार्च के बाद अरुणाचल प्रदेश के 296, जम्मू कश्मीर में 66, छत्तीसगढ़ में 42, उत्तराखंड में 14, मध्य प्रदेश में सात, ओड़ीशा में छह और मिजोरम में दो गांवों का काम पूरा किया गया।
सरकार ने 2018-19 के बजट में 2750 करोड़ रुपए ‘सौभाग्य’ (सहज बिजली हर घर योजना– ग्रामीण) के लिए आबंटित किए हैं। इसके तहत बिजली से वंचित चार करोड़ घरों को रोशन करने की योजना है। इसके तहत गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है।