जिला वाराणसी, ब्लाक चोलापुर, गावं धरसौना। इहां के बनवासी बस्ती के चालीस घर में तीन पीढ़ी से आवस नाहीं हव। लोग मड़ई लगा के आपन दिन काटत हयन। बरसात के दिन में मड़ई में आय दिन कीरा नजर आवल करला।
इहां के सुधा, मीना, लालती, सुमित्रा रानी समेत कई लोग के कहब हव कि हमने केतना दिन से इहां रहल जाला लेकिन हमने के कउनों सुविधा नाहीं हव। ना तो हमने के रहे के घर हव। जब बारिश होला त हमने सोचल जाला कि सामान लेके कहाँ जायल जाय। हमने बारिश के पानी से अपने सामान के बचावे खातिर के सब सामान खटिया पर रख देईला। कई बार हमने इहां के प्रधान से कहली कि हमने के आवास दिवा दा त ओन कहियन कि दस हजार देबू त आवास मिली नाहीं त ना मिलि। हमने आपन पेट चलाई कि घुस देई। पत्ता तोड़ के पतरी बना के त पेट चलावल जाला। अब त ओमे भी कमाई नाहीं होत हव। प्रधान से आवास खतिर कहल जाई त ओन घुस मनगियन। ब्लाक पर कहल जाई त ओन कहीयन कि लिख के दा। केतना बार लिख के देहली लेकिन अभहीं कुछ नाहीं भयल।
इ सब के बारे मे प्रधान राम अवतार यादव के कहब हव कि आवास में एक रूपिया भी घुस नाहीं लगला। 2010 में बारह आवास के प्रस्ताव देहले रहली त ओमे से कुछ पास भयल रहल। त ओके बाट देहली अब जब आई त बनबासी लोगन के मिलि। आउर कुछ लोग के सुची में नाम हव आगे पीछे करके सबके आवस मिलि।
मड़ई में रेंगत कीरा
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