जिला वाराणसी, ब्लाक चिरईगांव , गांव उमराहाँ । इहां के दलित बस्ती में पीढ़ियो से बीस घर के लोग के पास आवास ना होवे से इन लोगन के टूटल फूटल झोपड़ी में जिन्दगी गुजारे के पड़त हव।
दलित बस्ती के शकुन्तला देवी, पप्पू, चन्दा देवी, सुदामा इन लोगन के कहब हव कि हमने के उमर लगभग साठ साल के हव। हमने टूटही छत के नीचे आपन जिन्दगी गुजार दिहली। लेकिन अभहीं तक सरकारी आवास नाहीं मिलल। केतना प्रधान भइलन लेकिन कोई नाहीं सुनलेस। इहां के कुछ अदमिन के कहब हव कि हमने बनारस जाके गारा मट्टी करीला तब जाके दू रोटी के आगम होला। अगर हमनी आवास खातिर प्रधान से कहल जाई त ओन कहियन कि पहिले दस हजार रूपइया जमा करा तब मिली। एकरे बारे में जब गांव के प्रधान सुर्य कुमार पटेल से पूछायल त ओन कहलन कि मार्च 2013 महीना में पूरे गांव के सर्वे भयल रहल। बी.पी.एल. सूची के हिसाब से डेढ़ सौ आवास के प्रस्ताव देहले हई जब पास हो जाई तब दे दिहल जाई।