लखनऊ, 23 अप्रैल को क्षत्रपाल अपने परिवार सहित सीतापुर से लखनऊ मजदूरी खोजने निकले थे। कहीं और जगह न मिलने पर लखनऊ रेलवे स्टेशन पर ही उन्होंने अस्थायी घर बना लिया। क्षत्रपाल की पत्नी राम देवी का कहना था कि “हम खुले स्टेशन पर ही गुजारा कर रहे हैं। अगर कोई काम मिल जाए तो हम जल्द ही किराये का मकान भी ले लेंगे।”
30 अप्रैल की शाम को राम देवी राशन लेने निकली। अपने तीन साल के बेटे को उन्होंने आस-पास के लोगों के हवाले छोड़ दिया। वहीं, पास में बैठे हुए एक चालीस साल के आदमी ने कहा की वह उनकी आठ साल की बेटी सुनीता को किराने की दूकान से चावल दिलवा देगा। इसके बाद जब वह लौटी तो वहां न वो आदमी था और न उनकी बेटी। काफी देर तक पूरा स्टेशन छान लेने के बाद जब उन्हें सुनीता नहीं मिली तब उन्होंने पुलिस को फोन लगाया।
पुलिस के आने पर छानबीन की गई। इसी बीच वहीँ पास ही उस अनजान व्यक्ति का झोला मिला। जिसमें कुछ कपड़े, फोटो, साबुन आदि मिला।।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में, पश्चिम बंगाल के बाद, सबसे ज्यादा बच्चे लापता होते हैं।
मजदूरी खोजते हुए खो बैठे अपनी आठ साल की बेटी
पिछला लेख