जिला बनारस, ब्लाक चिरईगांव, सरायमोहाना, मल्लाह बस्ती। हर साल की तरह, मानसून के शुरू होते ही यहां मछुआरों के मछली पकड़ने पर रोक लगा दी गई है।
दस हज़ार मछुआरों की आबादी के इस मोहल्ले में लोग खुद जाल बनाते हैं। एक जाल बनाने में तीन हज़ार रुपए खर्च हो जाते हैं। राम प्रकाश ने बताया कि हमारे पास कमाई का और कोई ज़रिया नहीं है।
एस.डी.एम. के बाबू अषोक कुमार का कहना है कि अगर सरकार तालाबों में इनको पट्टा करवा दे तो ये नदी के सहारे नहीं होते। इनको फिर इन महीनों में कुछ सुविधा हो सकती थी। राज्य आपदा मोचन निधि के तहत बाढ़ की वजह से जिन मछुवारों का नुक्सान होता है, उन्हें सरकार मुआवज़ा देती है लेकिन रोक के समय कोई सुविधा नहीं मिलती।
मछुआरों के लिए मानसून है मुश्किल
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