जिला वाराणसी, ब्लाक हरहुआं, आयर। हव इ बस्ती में करीब दस घर हव लेकिन अभहीं तक कोई के आवास नाहीं मिलल हव। लोग मड़ई लगा के रहलन। आधीं पानी में हमने के मड़ई उड़ जाई त कभी फट जाई। हमने के त समझ में नाहीं आवत की हमने आपन दिन कइसे काटी।
सुशीला, सीमा, पूनम, सन्तोष इ लोगन के कहब हव कि हमने के रहे के घर नाहीं हव। पहिले के कच्चा घर रहल उहो अब गिर गयल हव। एही सब से हमने के मड़ई लगा के रहे के पड़त हव। प्रधान से हमने आवास खातिर के कहल जाई त प्रधान सुनबे नाहीं करतन। जे होत बा उ खाली आपन देखत हव। कभी जनता के तरफ पलट के कोई नाहीं देखे वाला हव कि आखिर जनता कउन हाल में हव। हमने के पास त एतना कमाई नाहीं हव कि हमने आपन घर बनवा लेवल जाए। हमने के त खाए भर के कमाई नाहीं होत हव त हमने घर कहाँ से बनवाईब।
ब सब के बारे में प्रधान जगमोहन के कहब हव कि छह महीना पहिले बीस आवास के मांग कइले हई। अभहीं तक एक भी आवास नाहीं पास भयल हव। जेकर बी. पी. एल. सूची में नाम नाहीं हव ओही के नाहीं आवत हव।
मंगले पर भी नाहीं आवत हव आवास
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