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भ्रष्ट अधिकारी की वापसी पर उठे सवाल

(फोटो साभार: इंडिया टुडे)

(फोटो साभार: इंडिया टुडे)

लखनऊ। 3 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव प्रदीप शुक्ला को उनका पद वापस लौटाया। शुक्ला का नाम राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में हुए घोटाले में सामने आया था। इस सिलसिले में प्रदीप शुक्ला को जेल भी हुई थी।

उत्तर प्रदेश के नियुक्ति विभाग का कोई भी अधिकारी इस पर अपने विचार बताने सामने नहीं आया कि किस आधार पर शुक्ला का निलंबन निरस्त किया गया। लेकिन कई अधिकारियों और विरोधी राजनीतिक दलों ने ये सवाल उठाया है।

2012 में सी.बी.आई. ने शुक्ला समेत कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। शुक्ला को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों और तीन निजी कंपनियों के निदेशक के साथ मिलकर हेरफेर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

एफ.आई.आर. के अनुसार सरकार ने उन्यासी जि़्ाला अस्पतालों के सुधार के लिए उन्यासी करोड़ रुपए पास किए थे, पर सरकार को हर अस्पताल से पच्चीस लाख रुपए का नुक्सान आया। कुल मिलाकर नुक्सान की कीमत सवा बाइस करोड़ रुपए की थी। माना ऐसा जाता है कि शुक्ला ने कथित तौर पर काम आबंटित करने में मापदंडों का उल्लंघन किया था, जिसमें शुक्ला ने मनमानी कंपनी को अस्पताल सुधार का ठेका दिया था।

मई 2012 – पूर्व स्वास्थ्य मिशन निदेशक प्रदीप शुक्ला को लखनऊ में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्थ्य मिशन में घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
अगस्त 2013 – सी.बी.आई. और राष्ट्र स्तरीय जांच के अनुसार उत्तर प्रदेश में इस योजना में पांच हज़ार सात सौ करोड़ रुपए का घोटाला बताया गया।
नवंबर 2013 – इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्ला को कमज़्ाोर सेहत के चलते छह महीने की ज़मानत दी।