रिश्वत लेने वाले के साथ-साथ देने वाले के लिए सजा का प्रावधान और भ्रष्टाचार से संबंधित मामले के दो साल में निस्तारण से संबंधित भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक 2018 को संसद की मंजूरी मिल गई है।
भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधित) विधेयक 2018 को पेश करते हुए कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि विधेयक उन अधिकरियों को सुरक्षा प्रदान करेगा, जो अपना कार्य ईमानदारी से करते हैं।
उन्होंने कहा कि विधेयक में भ्रष्टाचार के मामलों में शीध्र सुनवाई सुनिश्चित करने का प्रावधान है। मंत्री ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के लिए जीरो टॉलरेंस के प्रति बचनबद्ध है। विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ तीन से लेकर सात साल जेल की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। यह विधेयक भ्रष्टाचार की रोकथान अधिनियम 1988 में संशोधन करता है।
इस विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ 3 से लेकर 7 साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।
बता दें कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून करीब तीन दशक पुराना है। इसमें संशोधन की कवायद 2013 में हुई थी। इस विधेयक को पहले संसदीय समिति के पास विचार के लिए भेजा गया था। इसके बाद विधि विशेषज्ञों की समिति और फिर वर्ष 2015 में चयन समिति के पास भेजा गया।